पंकजा मुंडे (Image- Social media)
Mumbai News: महाराष्ट्र की मंत्री पंकजा मुंडे ने कहा है कि राज्य सरकार को मराठों की आरक्षण की मांग पर ध्यान देते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विभिन्न समुदायों को मिलने वाले मौजूदा आरक्षण लाभ में कोई बाधा नहीं आए। मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे मराठा समुदाय के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं और इस पर दबाव बनाने के लिए दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन अनशन कर रहे हैं।
हालांकि, कुछ ओबीसी नेताओं ने इस पर आपत्ति जताई है। जरांगे चाहते हैं कि मराठों को ‘कुनबी’ के रूप में मान्यता दी जाए, जो अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में शामिल एक कृषक जाति है, जिससे वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के पात्र बन जाएंगे। हालांकि ओबीसी नेता इसका विरोध कर रहे हैं।
मुंडे ने सोमवार को एक क्षेत्रीय समाचार चैनल से कहा, ‘‘जिन समूहों की पहचान की गई और उन्हें सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण का लाभ दिया गया, वे आज भी पिछड़े हैं। मराठा समुदाय को समान लाभ देते हुए उन समूहों को मिलने वाला आरक्षण प्रभावित नहीं होना चाहिए।” उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि किसी को भी अवैध रूप से ओबीसी प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि पिछड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाना राज्य का कर्तव्य है।
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य में जो भी पिछड़ा है, सरकार को उनकी प्रगति के लिए उनका समर्थन करना चाहिए। आरक्षण की मांग का मूल केवल आर्थिक पिछड़ापन ही नहीं, बल्कि सामाजिक पिछड़ापन भी है।” मुंडे ने कहा कि अच्छी शिक्षा और रोजगार के अवसरों तक पहुंच जीवन को बेहतर बना सकती है और जातिगत पहचान पर जोर कम कर सकती है।
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उन्होंने कहा, ‘‘इससे अधिक सुंदर कुछ नहीं होगा।” गौरतलब है कि राज्य के मंत्री छगन भुजबल ने चेतावनी दी है कि अगर मराठों को समायोजित करने के लिए ओबीसी के मौजूदा आरक्षण को बाधित करने का कोई प्रयास किया गया तो समुदाय के सदस्य बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे।