(फोटो सोर्स एएनआई)
नासिक : खुदरा बाजार में प्याज की कीमतें आसमान छू रही हैं । प्याज की कीमतें 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं, जिससे आम आदमी की थाली से प्याज गायब होने लगा है। पिछले दिनों हुई भारी बारिश के कारण जिले में 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज की फसल को काफी नुकसान हुआ था। इससे दिवाली के बाद बाजार में नई लाल प्याज की आवक कम हो गई है, जिससे थोक बाजार में प्याज की कीमतें 42 से 60 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई।
फसल को हुए नुकसान के कारण किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। अब उन्हें अपनी फसल का सही दाम भी नहीं मिल पा रहा है जिससे वे और परेशान हो गए हैं। महाराष्ट्र में प्याज की कीमतों में उतार-चढ़ाव का एक नियमित चक्र होता है। आमतौर पर गर्मियों के प्याज की आपूर्ति सितंबर और अक्टूबर में समाप्त होती है और नवंबर में नई लाल प्याज बाजार में आती है। इस बीच के समय में प्याज की कीमतें कम होती हैं, लेकिन इस साल मानसून की वापसी के कारण प्याज की आपूर्ति का चक्र बिगड़ गया है।
अक्टूबर में चांदवड, देवला, पेठ, सिन्नर, नासिक और निफाड क्षेत्रों में अतिरिक्त वर्षा से लगभग 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज की फसल का नुकसान हुआ है। इससे प्याज की कीमतें बढ़ गई हैं। महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले ने बताया कि जिन किसानों ने आधा उत्पादन किया था उनकी प्याज अब तोड़ने के लिए तैयार थी, लेकिन खेत में पानी जमा होने के कारण वह खराब हो गई। सिन्नर में एक किसान को अपने खेत में ट्रैक्टर चलाना पड़ा, क्योंकि खेत में पानी जमा हो गया था। दिघोले ने कहा कि आमतौर पर नवंबर से लाल प्याज की आवक बढ़ने लगती है, लेकिन इस स्थिति में इस महीने आवक बहुत कम होगी।
नासिक में प्याज की कीमतें 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई हैं, जिससे लोगों को प्याज खरीदने से पहले सोचना पड़ रहा है। हालांकि छोटे आकार के प्याज 70 रुपये प्रति किलो बिक रहे हैं। एक गृहिणी गायत्री पारख ने कहा कि पहले वे एक साथ 5-6 किलो प्याज खरीदती थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं है। प्याज की तरह ही अन्य सब्जियों की कीमतें भी बढ़ गई हैं। प्याज की कीमत का असर नासिक के लोकप्रिय व्यंजन मिसल पर भी पड़ा है। मिसल विक्रेता अब प्याज का कम उपयोग कर रहे हैं।
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चांदवड तहसील के ऊसवाड गांव में किसान बालू आहेर ने 1.5 एकड़ में प्याज बोया था, जिसे नवंबर में तोड़ने की तैयारी थी। लेकिन अतिरिक्त वर्षा के कारण पौधे खराब हो गए और उत्पादन प्रभावित हुआ। किसान के मुताबिक सामान्य परिस्थितियों में 50-60 क्विंटल प्याज का उत्पादन होता है, लेकिन इस बार केवल 10-20 क्विंटल प्याज का उत्पादन हुआ है। किसान ने बताया कि बुआई के लिए किए गए 40 हजार रुपये के खर्च को पूरा करने के लिए दरें समान रहना आवश्यक है। कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 642 हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज की रोप वाटिका का नुकसान हुआ है। इससे प्याज की बिजाई में देरी होगी क्योंकि किसानों को फिर से बीज खरीदकर रोप तैयार करना होगा। इस स्थिति से किसानों को आर्थिक नुकसान हुआ है और प्याज की कीमतें भी बढ़ गई हैं।