प्रतिकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
नासिक: महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्याएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पिछले 8 महीनों के दौरान नासिक डिवीजन में किसानों की आत्महत्या की संख्या 200 पार पहुंच गई है। इनमें से सबसे ज्यादा आत्महत्याएं अकेले जलगांव जिले में हुई हैं। आत्महत्या करने वाले किसानों में से कुछ के परिवार को सरकारी सहायता प्राप्त होगी। हालांकि, कुछ किसान परिवारों के प्रस्ताव खारिज किए जाने की वजह से वे सरकारी सहायता से वंचित रह गए।
रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक बीते 8 महीनों में धुले जिले के 44 किसानों ने अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर ली है। नंदुरबार जिले में भी दो किसानों की मौत हो गई है। अन्य जिलों की तुलना में इस जिले में किसान आत्महत्या की दर कम है। इसे संतोषजनक माना जा रहा है। नासिक विभाग में कई किसानों ने अलग-अलग कारणों के चलते आत्महत्या की है। सबसे ज्यादा आत्महत्याएं जलगांव जिले में 137 किसानों ने अपनी जीवन यात्रा समाप्त कर ली है। ये आंकड़ा काफी हैरान करने वाला है।
महाराष्ट्र से जुड़ी खबरें जानने के लिए यहां क्लिक करें…
बताया जा रहा है कि किसानों द्वारा सिर पर कर्ज, जमीन का बंजरपन ऐसे विभिन्न कारणों के चलते आत्महत्या करने के मामले सामने आए हैं। सरकार की ओर से किसानों की आत्महत्या को रोकने के लिए कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं। इसके बावजूद आत्महत्याओं की संख्या में कमी नहीं आ रही है। इस वर्ष में जनवरी से अक्टूबर तक 8 महीनों के दौरान नासिक डिवीजन में कुल 230 किसानों ने आत्महत्या की है। इसमें नासिक जिले के छह किसान शामिल हैं।
सरकार की ओर से किसानों के परिवारों को मदद
आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों को शासन स्तर से लाखों रुपये की मदद दी जा रही है। किसान के बच्चों में यदि कोई 12वीं पास हो, तो उसे स्टेट बैंक के माध्यम से 15 लाख रुपये का लोन भी उपलब्ध कराया जा रहा है। किसान के बच्चों की आगे की पढ़ाई पूरी हो सके, इसलिए ये लोन दिया जाता है। इस विभाग में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या वैसे तो 230 है, लेकिन मात्र 98 किसान परिवारों को ही सरकारी सहायता की पात्रता मिल पाई है। पूरी रिपोर्ट न मिल पाने की वजह से 48 किसान परिवारों को सहायता से वंचित रहना पड़ रहा है। जबकि 84 किसानों के परिवार के प्रस्तावों की जांच जारी है।
नासिक से जुड़ी खबरें जानने के लिए यहां क्लिक करें…
सरकारी आंकड़े कर रहे हकीकत बयां
केले और कपास के उत्पाद के लिए प्रसिद्ध जलगांव जिले में पिछले 8 महीनों में 137 किसानों ने अवसाद के कारण अपनी जान दे दी है। सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है। प्रकृति की मार, बार-बार फसल के बंजर होने और फसल का उचित मूल्य न मिलने के कारण किसानों का मनोबल टूटता नजर आ रहा है। यही वजह है कि किसानों द्वारा ये कदम उठाया जा रहा है।