महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति राम शिंदे (सोर्स: सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र के प्रमुख विपक्षी दल शिवसेना (यूबीटी) ने विधान परिषद में सभापति के खिलाफ लाया गया अपना अविश्वास प्रस्ताव वापस ले लिया है। बजट सत्र के आखिरी दिन बुधवार को विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि सरकार की ओर से उन्हें ऊपरी सदन में निष्पक्ष व्यवहार का भरोसा दिलाया गया है। इसलिए वह अपना अविश्वास प्रस्ताव वापस ले रहे हैं।
विधान परिषद में उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे ने बीते सप्ताह दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी यूबीटी के संबंध में विवादित बयान दिया था। डॉ. गोर्हे कहा था कि उद्धव ठाकरे को एक मर्सिडीज कार देने के बाद यूबीटी में पद आसानी से मिल जाता है। उक्त बयान के बाद भड़के विपक्ष ने गोर्हे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था।
इस अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष के नेता अंबादास दानवे, शिवसेना-यूबीटी के नेता अनिल परब, कांग्रेस के भाई जगताप और अभिजीत वंजारी और एनसीपी-एसपी के एकनाथ खडसे समेत विपक्षी दलों के 15 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे। हालांकि विधान परिषद के सभापति राम शिंदे ने विपक्ष के प्रस्ताव को सीधे खारिज कर दिया था।
इससे नाराज शिवसेना यूबीटी के नेता एवं विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने सभापति शिंदे के खिलाफ भी अविश्वास प्रस्ताव दाखिल कर दिया था। बीजेपी नेता एवं विधान परिषद सदस्य राम शिंदे को 19 दिसंबर 2024 का विधान परिषद का सभापति चुना गया था।
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उनके खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में कहा गया था कि परिषद के सभापति सदन की कार्यवाही पक्षपातपूर्ण और एकतरफा तरीके से चला रहे हैं। सदन की कार्यवाही नियमों के अनुरूप नहीं चल रही है। प्रस्ताव में विपक्षी दल और विपक्ष के नेताओं की अनदेखी के भी आरोप लगाए गए थे।
विपक्ष की ओर से जारी एक चिट्ठी में कहा गया है कि 21 मार्च को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें हमें ऊपरी सदन में निष्पक्ष व्यवहार का भरोसा दिलाया गया। हमने इसलिए सभापति राम शिंदे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को वापस लेने का निर्णय लिया है।