मालेगांव रेप केस पर मचा बवाल! भीड़ ने जाम किया नेशनल हाइवे, आरोपी को फांसी की मांग
Malegaon News: तहसील के डोंगराले गांव में मासूम बच्ची के साथ हुए अत्याचार और हत्या की घटना के बाद से तहसील में गुस्से की लहर बरकरार है. इस घटना के विरोध में और फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाकर संदिग्ध आरोपी को फांसी की सज़ा देने की मांग को लेकर गुरुवार 27 नवंबर को युवा सेना के पदाधिकारियों और नागरिकों ने तहसील के टेहरे में राष्ट्रीय महामार्ग को करीब 2 घंटे तक जाम कर दिया. रास्ता रोको आंदोलन के कारण सड़क पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं और यातायात 2 घंटे तक बाधित रहा.
पुलिस द्वारा लिखित कार्रवाई का आश्वासन दिए जाने के बावजूद आंदोलनकारी आक्रामक बने रहे. पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच कुछ देर तक हल्की कहा-सुनी भी हुई. बाद में पुलिस ने बल का प्रयोग करते हुए आंदोलनकारियों को सड़क से हटाया और उन्हें हिरासत में लिया. युवा सेना के नेता और विस्तारक आविष्कार भुसे को छावनी पुलिस ने हिरासत में लिया और कुछ समय बाद उन्हें रिहा कर दिया गया.
इस दौरान, अतिरिक्त जिलाधिकारी देवदत्त केकाण, अपर पुलिस अधीक्षक तेगबिर सिंह संधू, और तहसीलदार विशाल सोनवणे को मांगों का ज्ञापन सौंपा गया. तहसील के डोंगराले की घटना के 15 दिन बाद भी तीव्र प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. पिछले सप्ताह हुए जन आक्रोश मोर्चे के बाद युवा सेना ने राष्ट्रीय महामार्ग को अवरुद्ध करने का आह्वान किया था. गुरुवार 27 नवंबर को सुबह करीब साढ़े दस बजे रास्ता रोको आंदोलन शुरू हुआ. इस दौरान उपस्थित छात्राओं और युवाओं ने तीखे शब्दों में अपनी भावनाएं व्यक्त कीं. हाथों में तख्तियां लेकर संदिग्ध आरोपी को फाँसी की सज़ा देने की ज़ोरदार मांग की गई.
करीब 2 घंटे तक रास्ता रोको आंदोलन चलने के कारण मुंबई और धूलिया की ओर से दोनों तरफ़ वाहनों की लंबी-लंबी कतारें लग गईं. आंदोलनकारियों ने मांग की कि इस मामले में तत्काल सरकारी वकील नियुक्त किया जाए, आरोप पत्र (चार्जशीट) जल्दी दाखिल किया जाए, और संदिग्ध आरोपी को फाँसी की सज़ा दी जाए. इस पर अपर पुलिस अधीक्षक तेगबिर सिंह संधू ने आश्वासन दिया कि आंदोलनकारियों की सभी माँगें पूरी की जाएंगी और कानूनी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है लेकिन, इस आश्वासन के बाद भी आंदोलनकारी अपनी मांग पर अड़े रहे. उन्होंने यह रुख अपनाया कि लिखित आश्वासन दिए बिना आंदोलन वापस नहीं लिया जाएगा.
पुलिस ने आंदोलनकारियों की मांगें मानते हुए लिखित आश्वासन दिया, लेकिन इसके बाद भी आंदोलनकारी सड़क से हटने को तैयार नहीं थे. जिसके बाद, पुलिस ने युवा सेना के विस्तारक आविष्कार भुसे सहित अन्य आंदोलनकारियों को हिरासत में ले लिया. इसके बाद, यातायात सुचारू किया गया. भुसे को कैंप पुलिस स्टेशन ले जाकर आवश्यक कार्रवाई के बाद रिहा कर दिया गया.
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इस आंदोलन में कृषि उत्पन्न बाज़ार समिति के सभापति चंद्रकांत शेवाले, धर्मा नाना शेवाले, अमोल निकम, एडवोकेट योगेश निकम, जिभाऊ कुवर, लकी खैरनार, संदीप शेवाले, गोकुल शेवाले, भूषण बच्छाव, शिवसेना की महिला आघाडी की संगीता चव्हाण, मनीषा निकम, स्कूली छात्राएं, युवा सेना के पदाधिकारी, कार्यकर्ता और बड़ी संख्या में नागरिक शामिल हुए थे. आंदोलन के दौरान पुलिस का बड़ा फ़ौज-फ़ाटा (बड़ी संख्या में बल) तैनात किया गया था.