नासिक में धनतेरस का उत्साह (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nashik News: धनतेरस, जिसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में दिवाली के पाँच दिवसीय महापर्व का पहला दिन होता है। यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि को देवताओं का वैद्य और आयुर्वेद का जनक माना जाता है। इसलिए, धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, और इस दिन उनकी पूजा अच्छे स्वास्थ्य (आरोग्य) और दीर्घायु की कामना के लिए की जाती है।
इस दिन धन के देवता कुबेर और देवी लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है, ताकि घर में सुख, समृद्धि और धन-संपदा बनी रहे। धनतेरस को खरीदारी के लिए एक अत्यंत शुभ मुहूर्त माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएं 13 गुना अधिक लाभ देती हैं और वर्ष भर घर में बरकत बनी रहती है।
शनिवार 18 अक्टूबर को शहर और जिले में आरोग्य के देवता धन्वंतरि और धन-संपदा के प्रतीक कुबेर देवता की पूजा के साथ धन त्रयोदशी (धनतेरस) का पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। धनत्रयोदशी के महत्व को देखते हुए, सोने और चांदी के आभूषणों में रौनक आई, साथ ही बर्तन खरीदने का शुभ मुहूर्त भी साधा गया। दीपों की लंबी कतारें (लक्ष दीपों का प्रज्वलन) और आसमान को रोशन कर देने वाली पटाखों की आतिशबाजी के साथ दिवाली के दूसरे दिन की शुरुआत की गई।
कार्तिक महीने की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाई जाती है। इस दिन कुबेर देवता और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम इसी दिन रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे। उस समय अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत के लिए घरों के सामने आकर्षक रंगोलियाँ बनाकर रोशनी की थी। इसलिए हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है। यह पर्व नकारात्मकता के अंधकार में सकारात्मकता का दिया जलाकर चारों दिशाओं को रोशन करने वाला है। इसे खरीदारी के लिए भी शुभ मुहूर्त माना जाता है, इसलिए लोग नई वस्तुएं, सोना, चांदी और अन्य सामान खरीदते हैं।
ये भी पढ़े: मालेगांव में 50 लाख की लूट साजिश नाकाम, बैंक कैशियर बना गद्दार! पुलिस ने चार को दबोचा
धनतेरस पर आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि की पूजा की जाती है, इसलिए शहर के विभिन्न अस्पतालों और डॉक्टरों ने धन्वंतरि की विधिपूर्वक पूजा की। इस अवसर पर आकर्षक विद्युत रोशनी और सजावट की गई थी। पूजा के दौरान, घर-घर में सूर्य देव, भगवान गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु जैसे पंच देवों की स्थापना करके सोलह विधियों से पूजा की गई। खरीदारी का मुहूर्त होने के कारण शहर के सर्राफा बाजार ग्राहकों से खचाखच भरे रहे। कई लोगों ने पहले से खरीदे गए सोने-चांदी को आज के शुभ मुहूर्त पर दुकानदारों से ग्रहण किया। जानकारों ने अनुमान लगाया है कि एक ही दिन में करोड़ों रुपये का कारोबार हुआ।