नांदेड़ ब्लास्ट में आया फैसला (कॉन्सेप्ट फोटो)
मुंबई: महाराष्ट्र के नांदेड़ में 2006 के एक विस्फोट मामले में 19 साल बाद फैसला सुनाया है। एक सत्र अदालत ने शनिवार को सभी 9 जीवित आरोपियों को बरी कर दिया। मामले में विस्तृत आदेश अभी उपलब्ध नहीं हुआ है, लेकिन बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि यह घटना बम विस्फोट थी।
मामले की शुरुआत में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने जांच की और बाद में इसे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया। नांदेड़ कोर्ट ने सबूतों के अभाव में 12 लोगों को बरी कर दिया है। यह मामला करीब 19 साल से कोर्ट में चल रहा है। इस फैसले ने सीबीआई को चौंका दिया है।
नांदेड़ ब्लास्ट मामले के कुल 12 आरोपी थे। जिसमें से दो की विस्फोट में मौत हो गई थी, जबकि एक आरोपी की मौत मुकदमा जारी रहने के दौरान हुई। जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सी.वी. मराठे ने शनिवार को बाकी बचे सभी 9 आरोपियों को बरी कर दिया।
बता दें कि 4 व 5 अप्रैल 2006 की मध्य रात्रि को नांदेड़ शहर में लक्ष्मण राजकोंडवार के घर पर विस्फोट हुआ था, जो कथित तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता थे। जांचकर्ताओं ने दावा किया कि राजकोंडवार के बेटे नरेश राजकोंडवार और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता हिमांशु पानसे की कथित तौर पर बम बनाते समय मौत हो गई थी।
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बचाव पक्ष के वकील नितिन रनवाल के अनुसार, मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के 49 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। वकील नितिन रनवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि यह घटना एक बम विस्फोट थी। इसीलिए अदालत ने सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है।
जानकारी के लिए बता दें कि बम विस्फोट मामले के आरोपियों को जालना, परभणी और मालेगांव से गिरफ्तार किया गया था। शुरुआत में जांच एटीएस ने की थी, जिसके बाद यह केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था। इस मामले में सीबीआई ने 49 गवाहों से पूछताछ की। साथ ही 2000 पन्नों की एक चार्जशीट तैयार की गई।
(एजेंसी इनपुट के साथ)