
शिक्षा राज्यमंत्री पंकज भोयर (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Shivaji Maharaj History Syllabus: सीबीएसई पाठ्यक्रम में शिवाजी महाराज से संबंधित इतिहास की जानकारी बढ़ाने के लिए एनसीईआरटी से चर्चा करने का आश्वासन शिक्षा राज्यमंत्री पंकज भोयर ने विधान परिषद में दिया। साथ ही, संभाजी महाराज का अपमान करने वाला नाटक यूट्यूब से हटाने के लिए प्रयास करने की गारंटी भी उन्होंने दी।
सीबीएसई पाठ्यक्रम में शिवाजी महाराज का इतिहास केवल 68 शब्दों में सिमटा होने का मुद्दा सत्यजीत तांबे ने विधान परिषद में उठाया। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज के विषय में शिक्षा विभाग अत्यंत उदासीन है। किशोर दराड़े ने कहा कि कम शब्दों में लिखा गया इतिहास शिवाजी महाराज का अपमान है। साथ ही यूट्यूब से संभाजी महाराज का अपमानजनक नाटक और सामग्री हटाने की मांग की गई।
इस पर भोयर ने बताया कि द राइज ऑफ मराठा के माध्यम से 2200 पन्नों का इतिहास पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है। यदि यह जानकारी कम पड़ती हो, तो इसे और बढ़ाने के लिए एनसीईआरटी के समक्ष प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि यूट्यूब से संभाजी महाराज के विरुद्ध अपमानजनक नाटक और सामग्री हटाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
शिवाजी महाराज का असली चरित्र साधन खंड तैयार करने की मांग अमोल मिटकरी ने की। इस पर भोयर ने आश्वासन दिया कि ऐसा खंड तैयार किया जाएगा। साथ ही स्कूलों में शिवचरित्र का वाचन बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे।
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महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने आरोप लगाया कि भाजपा नीत महायुति सरकार शीत सत्र अधिवेशन को गंभीरता से नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि विदर्भ करार का उल्लंघन करते हुए सरकार ने अधिवेशन सिर्फ एक सप्ताह का रखा। किसानों, मजदूरों, बेरोजगारों, महिला सुरक्षा और कानून-व्यवस्था जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा न होकर कुत्ते पकड़ने और तेंदुआ छोड़ने जैसे विषयों पर चर्चा हो रही है।
सपकाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सत्ताधारी पक्ष ने अधिवेशन की गंभीरता पूरी तरह खो दी है। उन्होंने राज्य में बढ़ते भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए कहा कि रोज नए भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं लेकिन सरकार उन पर चर्चा टाल रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ताधारी सदस्य गंभीर चर्चा दरम्यान भी हंसी-मजाक करने में व्यस्त हैं जिससे लोकतंत्र का नुकसान हो रहा है। विपक्ष के नेता पद पर सरकार की टालमटोल पर भी उन्होंने सवाल उठाया। सपकाल ने कहा कि दोनों सदनों में आवश्यक सदस्य संख्या होने के बावजूद सरकार परंपरा और नियमों का पालन नहीं कर रही है।






