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बाघों की तस्करी का पर्दाफाश, सेना से रिटायर होकर बना तस्कर, मेलघाट से शिलांग तक जुड़े सिंडिकेट

Tiger Smuggler: बाघों के शिकार और उनके अंगों की तस्करी से जुड़े एक गंभीर मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। बाघों का तस्कर आरोपी की गिरफ्तारी के बाद मेलघाट से लेकर शिलांग तक उसका कनेक्शन सामने आया है।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Sep 08, 2025 | 07:15 AM

बाघों की तस्करी (AI Generated Photo)

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Tiger smuggling: बाघों के शिकार और उनके अंगों की तस्करी से जुड़े एक गंभीर मामले में आरोपी लालनेइसुंग लालथलांग हमार की गिरफ्तारी के बाद मेलघाट से लेकर शिलांग तक तस्करी में शामिल सिंडिकेट उजागर हुआ। हमार द्वारा हाई कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दायर की गई किंतु मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ प्रथमदृष्टया उपलब्ध ठोस सबूतों और उसके बैंक खाते में पाई गई भारी, बिना स्पष्टीकरण वाली नकदी को ध्यान में रखते हुए जमानत अर्जी खारिज कर दी।

जांच के दौरान आरोपी के खाते में 13 करोड़ से अधिक की राशि भी मिली है। दस्तावेजों के अनुसार लालनेइसुंग लालथलांग हमार को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 2, 9, 31, 50 और 51 के तहत अपराधों के लिए 30 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में है।

टेंट से बाघों की खाल उतारने के हथियार बरामद

यह मामला मेलघाट टाइगर रिजर्व के साइबर सेल को 25 जनवरी 2025 को मिली एक विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर शुरू हुआ था। इस जानकारी में राजुरा के वन क्षेत्रों में शिकार से पारंपरिक रूप से जुड़े ‘बहल्ला’ समुदाय के एक समूह की मौजूदगी का संकेत दिया गया था जिस पर अवैध रूप से वन्यजीव के शिकार की गतिविधियों में शामिल होने का संदेह था।

वन अधिकारियों द्वारा गश्त के दौरान अजीत सियालाल पारधी नामक एक व्यक्ति को पकड़ा गया जिसने अपनी पहचान मध्य प्रदेश के कटनी जिले के मूल निवासी के रूप में बताई। तलाशी के दौरान राजुरा तालुका के चुनाला गांव में एक टेंट साइट से बाघों के शिकार में इस्तेमाल होने वाले हथियार और खाल उतारने के उपकरण सहित कई आपत्तिजनक वस्तुएं बरामद की गईं।

जांच में पता चला कि अजीत पारधी एक आदतन वन्यजीव अपराधी और जानवरों के अंगों का अवैध व्यापारी है जिसके खिलाफ कई मामले लंबित हैं। उसने राजुरा रेंज में बाघों के शिकार में अपनी संलिप्तता स्वीकार की।

गिरोह के तौर-तरीके का भी खुलासा

जांच के दौरान पारधी ने गिरोह के तौर-तरीके का खुलासा किया। उसने बताया कि बाघों को मारने के बाद समूह उनकी खाल उतारता था, हड्डियों और मांस को छिपाकर गड्ढों में दबा देता था। उन्हें तेजी से गलाने के लिए खाने वाले नमक का उपयोग करता था, फिर तैयार की गई बाघ की खालों को हवा में सुखाया जाता था और उनके टेंट या झोपड़ियों के अंदर एक आदिम टैनिंग प्रक्रिया से गुजारा जाता था।

तैयार किए गए शिकार पहले असम और बाद में शिलांग ले जाए जाते थे जहां उन्हें वर्तमान लालनेइसुंग लालथलांग हमार को सौंप दिया जाता था जो शिलांग का रहने वाला है। जांच के कागजात से पता चलता है कि आवेदक ने एनईएफटी और/या नकद के माध्यम से भुगतान प्राप्त किया था।

खंगाले गए बैंक स्टेटमेंट, कॉल डिटेल

अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि जांच के दौरान आवेदक और सह-आरोपी अजीत पारधी के बीच सीधा संबंध सामने आया। बैंक स्टेटमेंट से पता चला कि आवेदक ने अजीत पारधी के खाते में रकम स्थानांतरित की थी। कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) भी एकत्र किए गए थे जिनसे पता चला कि आवेदक अन्य आरोपियों के संपर्क में था और उसने सह-आरोपी से सामग्री प्राप्त करने के लिए शिलांग से गुवाहाटी की यात्रा की थी।

यह भी पढ़ें – अगले बरस जल्दी आना…35 घंटे बाद आखिरकार लालबागचा राजा का विसर्जन, भक्त हुए भावुक

याचिकाकर्ता, सह-आरोपी निंग सान लून और उसके पति कपलियान मुंग के बयान वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम की धारा 50(8)(D) के तहत दर्ज किए गए थे, जो साक्ष्य में स्वीकार्य हैं। इन बयानों से पता चला कि आवेदक बाघ की खाल, हड्डियों और दांतों को निंग सान लून को बेच रहा था।

सेना से रिटायर होकर बना तस्कर

याचिकाकर्ता ने अपने बयान में स्वीकार किया कि भारतीय सेना (असम रेजिमेंट) से 1993 से 2015 तक हवलदार के रूप में समय से पहले सेवानिवृत्त होने के बाद वह वित्तीय संकट से जूझ रहा था और आय के वैकल्पिक स्रोत की तलाश में था। उसने अपने दोस्त जॉनी के कहने पर बाघों की खाल और हड्डियों के व्यापार में प्रवेश किया। उसके बयान से यह भी खुलासा हुआ कि उसने पिछले 5-6 वर्षों में 40-50 बाघों का व्यापार किया था।

Tiger smuggling retired from army smuggler syndicate connected melghat to shillong

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Published On: Sep 08, 2025 | 07:15 AM

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