नागपुर. जिला परिषद की ओर से हाल ही में विकास कार्यों को लेकर टेंडर निकाला गया. नियमों के अनुसार टेंडर में शामिल होने के बाद ब्लैक लिस्ट के नाम पर दस्तावेज ही खोले नहीं जाने का कारण देते हुए नानक कंस्ट्रक्शन ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई.
याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश वृषाली जोशी ने राज्य सरकार के जलापूर्ति और स्वच्छता विभाग, जिला परिषद के सीईओ और ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के कार्यकारी अभियंता को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. अभय सांबरे और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील एसएम घोडेस्वार ने पैरवी की.
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि जिला परिषद और कार्यकारी अभियंता की ओर से टेंडर नोटिस जारी किया गया था जिसके अनुसार 10 अलग-अलग विकास कार्यों को शामिल किया गया था. याचिकाकर्ता ने इस टेंडर की प्रक्रिया में हिस्सा लिया.
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा भरे गए टेंडर को खोला ही नहीं गया. याचिकाकर्ता की कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के संदर्भ में राज्य सरकार से सुझाव मांगा गया था. राज्य सरकार की ओर से अब तक निर्देशों का इंतजार है जिससे टेंडर नहीं खोले जाने की जानकारी दी गई थी.
30 दिसंबर 2022 को राज्य सरकार की ओर से जिला परिषद के सीईओ को पत्र भेजा गया. इसमें कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के जिला परिषद के सुझावों को यथायोग्य करार दिया गया. लेकिन अब तक कंपनी को ब्लैक लिस्ट किए जाने के कोई आदेश जारी नहीं किए गए. यहां तक कि इस संदर्भ में याचिकाकर्ता को सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया है. सुनवाई के बाद अदालत ने नोटिस जारी किया. साथ ही अदालत ने टेंडर की अगली प्रक्रिया में वित्तीय बोली के टेंडर खोलने पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी.