सावनेर नगर परिषद (सौजन्य-नवभारत)
Saoner News: सावनेर को नागपुर जिले का सबसे अभागा शहर कहने में कुछ भी संकोच नहीं होगा। एक ओर अपने शहर के विकास के लिए एक दूसरे से राजनीति में कट्टर लोग एक जगह आकर सिर्फ होने गांव अपने शहर के भले के लिए सोचते है। लेकिन जहां शहर के लिए विकासत्मक नीति में पक्ष विपक्ष का रोल समझ से परे है। जब तक सत्ता का आनंद लेना है लिया, जिसका इंतजार शहर की जनता को था।
स्थिति कुछ ऐसी रही कि चार वर्ष से सत्ताहीन नगर परिषद होने से जनता के छोटे मोटे कामों को दिन दिन भर कार्यालय के चक्कर काटने के बावजूद काम नहीं होते। वैसे भी प्रशासक राज में सावनेर में अब तक मुख्याधिकारी है यह बात जनता को शायद पता नहीं हैं क्योंकि नये मकान निर्माण की अनुमति, गुंठेवारी के सैकड़ों प्रकरण, प्रधानमंत्री आवास योजना का बंटाधार हो गया है।
वही अगर शहर के विकास की बात की जाये तो शहर में ऐसे कई इलाके हैं जहां अब तक रास्ते नहीं बने और बने भी तो बनने के कुछ ही माह में उखड़ गये। लेकिन अभी कुछ नई शुरुआत हुईं है एक ओर पुराना अनाज बाजार में स्थित चिकन मछली के बाजार से जनता को जिस तरह की मुसीबत भोगना पड़ा और यह मामला उच्च न्यायालय तक पहुंचा लेकिन जनप्रतिनिधि इस मामले में चुप्पी बनाकर रहे। आखिर एक मसीहा ने राजनीति से परे जनता की पुकार सुनी और न्याय मिला। वही सब्जी मार्केट, शहर का 1982 से डी. पी. प्लान प्रोसेस में है।
फुटपाथ का नियोजन, शहर की गंदगी, सुलभ शौचालय का रखरखाव, खाऊ गली गंदगी, पानी का पूरा टैक्स जनता से लेने के बाद 2 दिन में एक बार जलापूर्ति होना, रास्तों का अतिक्रमण, प्ले ग्राउंड, गार्डन, अवैध पार्किंग, बदत्तर मुख्य रास्ते, शहर की लाइफ लाइन एव पुरातन धरोहर कोलार नदी की गंदगी, नप शालाओं के बेहाल, समाजभवनों की दुर्दशा, खुली गंदगी भरी बदबूदार नालियां, नप शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की दुर्दशा, शहर में ड्रेनेज सिस्टम, रास्ते पर आवारा जानवरों का बसेरा और कई समस्या जिसकी गंभीरता नहीं रही और उस पर अनाप शनाप टैक्स की बढ़ोतरी में जनता की कमर तोड़ दी है और जनता पसोपेश में है कि आखिर समस्या का समाधान करने जाये तो कहा जाये।
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लेकिन हमेशा टैक्स का बढ़ाना और विकास के नाम पर सुस्त होना यह जनता के साथ धोखा है। जिसकी शहर की जनता में चर्चा का विषय है। अब नप चुनाव सिर पर है और और अब फिर वार्डों के सफेदपोश नेताओं ने अपने सफ़ेद कुर्ते बाहर निकालकर जनता की शरण में पहुंच रहे हैं।
शहर में नगर परिषद द्वारा अतिक्रमण कार्रवाई का दिखावा बन गई है। जनता के समझ से परे है कि तामझाम दिखाकर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति होती है और भेदभाव की नीति अपनायी जाती है। जहां सब्जी दुकानदारों पर हमेशा कार्रवाई होती है। अब तो हाल ऐसे है कि रास्तों से पैदल निकलना मुश्किल ही गया है। नगर परिषद के सामने की सड़क अतिक्रमणकारियों के कब्जे में हैं और अधिकारियों के पास इसका कोई जवाब नहीं है। जो जनता के भी समझ से परे है। जनता के हितैषी बंद आंखों से सब देख रहे हैं अब यह आंख नप चुनाव के समय खुलेगी और जनता को कामों का हिसाब देना होगा।