नितिन गडकरी (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Maharashtra News: राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी (एनएडीटी) के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने चिर परिचित विनोदी अंदाज में अधिकारियों को जमकर हंसी-मजाक के साथ सलाह दी। गडकरी ने कहा कि सरकारी अधिकारी फाइलों से अपनी पत्नी से भी ज्यादा प्यार करते हैं।
एक बार मैंने एक अधिकारी से पूछा था कि आप पत्नी से प्यार करते हैं, ठीक है लेकिन फाइलों से उससे भी ज्यादा क्यों करते हैं? एक बार फाइल आती है तो उसे दबाकर रख देते हैं। अगर मंजूर करनी है तो करें, नामंजूर करनी है तो करें, लेकिन कुछ तो निर्णय लें। फाइलों को यूं ही रोककर रखने से क्या फायदा। कार्यक्रम में मुख्य रूप से एनएडीटी के महानिदेशक एस.के. मैथ्यूज, आईटीएटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति चंद्रकांत भड़ंग, न्यायमूर्ति बी.एम. श्याम प्रसाद और अन्य अतिथि उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि आपको हर महीने की एक तारीख को वेतन मिल जाता है, लेकिन ठेकेदार या उद्योजक जिन्होंने कर्ज लेकर काम किया होता है, वे वर्षों तक परेशान रहते हैं। उनके दर्द को आप समझ नहीं सकते। अगर कोई काम नियम में फिट नहीं बैठता, तो सीधे ‘न’ कहें, लेकिन निर्णय तो लें।
गडकरी ने अधिकारियों से यह भी कहा कि टैक्स वसूलिए, छापे मारिए, लेकिन निर्णय लेना मत भूलिए। निर्णय में देरी से बहुतों का नुकसान होता है। इस तरह गडकरी ने अपनी विशिष्ट शैली में सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर कटाक्ष किया और साथ ही समय पर निर्णय लेने की संस्कृति अपनाने का आग्रह किया।
केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों में ईमानदारी से सेवा न देने वाले आलसी अधिकारियों को प्रशिक्षण केंद्रों में रखे जाने के संबंध में एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि एक मंत्री के तौर पर विभिन्न विभागों के सचिव अक्सर किसी न किसी अधिकारी के बारे में कहते हैं कि यह व्यक्ति काम के लायक नहीं है। इस पर हम कहते हैं कि उसके साथ क्या किया जाए। सचिव कहते हैं कि उसे प्रशिक्षण केंद्र भेज दिया जाए। पुलिस समेत कुछ अन्य विभागों में भी ऐसा होता है।
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इस वजह से प्रशिक्षण केंद्र को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता, लेकिन ऐसा नहीं है। मैंने प्रशिक्षण केंद्र में अनुभवी सेवानिवृत्त अधिकारियों को लेने की सलाह दी थी। गडकरी ने यह भी कहा कि नए अधिकारी इस अधिकारी से लाभान्वित हो सकते हैं। इस बीच भारतीय अर्थव्यवस्था में राजस्व अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण है और एकत्रित राजस्व की मात्रा ही लोक कल्याणकारी योजनाओं के लिए उपलब्ध धनराशि है। इसलिए लोक कल्याणकारी अर्थव्यवस्था में भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारियों का योगदान महत्वपूर्ण है।