नवभारत इम्पैक्ट (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur News: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में डॉक्टरों के हस्ताक्षर या सील के बिना पर्ची पर दवाइयां लिखने का मामला सामने आया था। इसको लेकर प्रशासन ने सख्ती दिखाई। पिछले दिनों संचालक ने विभाग प्रमुखों की बैठक लेकर सख्त निर्देश दिये थे। निर्देश के बाद अब आदेश जारी किया गया।
इसमें स्पष्ट किया गया है कि प्रिस्क्रिप्शन फॉर्मेट के बिना कोई भी डॉक्टर मरीजों को दवाइयां नहीं लिख सकता। इसके लिए प्रिस्क्रिप्शन नमूना भी जारी किया गया है। दरअसल, एम्स में पिछले कुछ महीनों से डॉक्टर के बिना हस्ताक्षर और सील वाली पर्ची पर दवाइयां लिखी जा रही थीं। इस तरह की पर्ची पर मरीजों को 10 से 50 हजार रुपये तक की दवाइयां लिखकर दी जा रही थीं।
यानी ये दवाइयां पूरी तरह से बेहिसाबी थीं। पर्ची पर डॉक्टर का नाम और हस्ताक्षर नहीं होने से मेडिकल स्टोर्स में बिल भी नहीं बन रहा था। मामूली ही नहीं बल्कि गंभीर बीमारियों में भी इसी तरह की पर्ची पर दवाइयां लिखी जा रही थीं। इस संबंध में ‘नवभारत’ में प्रकाशित खबर होने के बाद प्रभारी संचालक ने विभाग प्रमुखों की बैठक ली। इसके पश्चात अब आदेश भी जारी किया गया।
आदेश में कहा गया है कि फार्मेसी एंड थेरेप्यूटिक्स कमेटी (पीटीसी) ने एम्स प्रशासन के सहयोग से दवाएं लिखने और जारी करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। दवा का प्रारूप और सभी विभागों में समान रूप से उपयोग की जाने वाली एक नमूना प्रति दी गई है। सभी डॉक्टरों को निर्देश दिया गया है कि मरीज सुरक्षा सुनिश्चित करने, दवा संबंधी त्रुटियों को कम करने और एनएबीएच मान्यता मानकों का अनुपालन बनाए रखने के लिए इन दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करें।
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पीटीसी समय-समय पर ऑडिट करेगी और निगरानी करेगी ताकि दवा लिखने की प्रक्रियाओं में अनुपालन और निरंतर सुधार सुनिश्चित हो सके। यह निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होगा और सभी संबंधितों से इसका कड़ाई से अनुपालन अपेक्षित है।
इसी तरह की लापरवाही मेडिकल में भी देखने को मिलती है। हालांकि ओपीडी का फॉर्मेट तो तय है लेकिन वार्ड में भर्ती मरीज को कई बार कागज के टुकड़े पर दवाई लिखकर दे दी जाती है। इससे संभ्रम की स्थिति भी बनी रहती है। कई बार दवाई नहीं मिलने से मरीजों के परिजनों को भटकना पड़ता है। मेडिकल प्रशासन को भी गंभीरता बरतने की आवश्यकता है।