मारबत उत्सव महाराष्ट्र के नागपुर में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम है, जिसका इतिहास 1881 से शुरू होता है। इस उत्सव की जड़ें किसानों द्वारा बुराई को दूर भगाने के अनुष्ठान में हैं और यह पौराणिक कथाओं, सामाजिक टिप्पणियों और मनोरंजन का एक अनूठा मिश्रण है।
नागपुर में हज़ारों लोग लगभग 150 साल पुराने मारबत उत्सव को मनाने के लिए सड़कों पर एकत्रित हुए क्योंकि यह उत्सव सिर्फ यहीं मनाया जाता है। परंपरा के अनुसार भक्त बुरी शक्तियों के प्रतीक पुतलों को लेकर जुलूस निकालते हैं। काली (काली) और पिवली (पीली) की मिट्टी की मूर्तियां या 'मारबत' इस जुलूस का मुख्य आकर्षण होती हैं जिन्हें स्थानीय लोग जलाते हैं।
हर साल की तरह इस साल भी मारबत को तैयार करके जुलूस निकाला गया। जिसके बाद इसे शहर से बाहर ले जाकर जलाया जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से शहर की बीमारियां, बुराइयां, कुरीतियां आदि खत्म हो जाती हैं। इस उत्सव को देखने पूरे भारत से लाखों लोग आते हैं।
नागपुर में तान्हा पोला के दिन मारबत उत्सव मनाने के लिए काली और पीली मारबत बनाई जाती है। यह परंपरा राज्य में बरसों से चली आ रही है। दोनों मारबत का निर्माण बुराई का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि इस उत्सव को मनाने के पीछे का कारण शहर में फैल रही बीमारियों से मुक्ति पाना है।
इस साल कुछ बैनर उत्सव समूहों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले आतंकवादियों को भी बैनर बनाया। इस खास और पारंपरिक उत्सव को देखने के लिए शहर की सड़कों पर भारी भीड़ दिखी। लाखों संख्या में श्रद्धालु इनके दर्शन करने के लिए आए।