दहेगांव-गोवरी कोयला खदान विवाद (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur News in Hindi: नागपुर जिले के ग्रामीण के दहेगांव-गोवरी में प्रस्तावित अदाणी की भूमिगत कोयला खदान को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। ग्रामवासियों ने साफ चेतावनी दी है कि जब तक इस परियोजना को रद्द नहीं किया जाता, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा। वलनी ग्राम पंचायत के सरपंच स्वप्निल गावंडे ने कहा कि, यदि प्रशासन ने ग्रामीणों की मांग पर गंभीरतापूर्वक विचार नहीं किया तो पूरा गांव आमरण अनशन करेगा।
ग्रामीणों का कहना है कि यह खदान वेणा जलाशय के बेहद नजदीक है। इसके चलते नागपुर ग्रामीण के वलनी, खंडाला, पारडी, दहेगांव-गोवरी, खैरी, तोंडाखैरी, बोरगांव, झुनकी, सिंदी, बेल्लोरी इन गांवों सहित आसपास के अन्य गांव भी सीधे प्रभावित होंगे। खदान से भूगर्भीय जलस्रोत नष्ट होने का खतरा है, जिससे कुएं, पनघट और तालाब सूख सकते हैं तथा इमारतों की नींव भी खतरे में पड़ सकती है।
उधर, विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों ने भी इस परियोजना पर गंभीर आपत्ति जताई है। वाइल्ड लाइफ कन्जर्वेशन ट्रस्ट की रिपोर्ट ‘अ पॉलिसी फ्रेमवर्क फॉर कनेक्टिविटी कन्झर्वेशन एंड स्मार्ट ग्रीन लाइनियर इन्फ्रास्ट्रक्चर इन द सेंट्रल इंडियन एंड ईस्टर्न घाट टायगर लैंडस्केप’ के अनुसार, नागपुर जिले में अदानी समूह की कोयला खदान से तीन प्रमुख टाइगर कॉरिडॉर बाधित होने की आशंका है।
यह क्षेत्र देश के सबसे बड़े टाइगर लैंडस्केप में शामिल है, जहां 23 व्याघ्र अभयारण्य और 46 संरक्षित क्षेत्र मौजूद हैं। इसी कड़ी में चंद्रपुर जिले में भी हाल ही में 80.77 हेक्टर वन भूमि पर कोयला खनन को मंजूरी दी गई है। राष्ट्रीय वन्यजीव मंडल की स्थायी समिति ने 26 जून को हुई अपनी 84वीं बैठक में इस परियोजना को कई शर्तों के साथ अनुमति दी। दुर्गापुर ओपनकास्ट माइंस द्वारा प्रस्तावित यह प्रकल्प ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प, कन्हालगांव और टिपेश्वर वन्यजीव अभयारण्य को जोड़ने वाले कॉरिडॉर में आता है।
ग्रामीणों और पर्यावरण संगठनों का कहना है कि लगातार मंजूरी मिल रहे इन प्रकल्पों से विदर्भ का पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाएगा और वाघों के आवागमन वाले कॉरिडॉर खंडित हो जाएंगे। फिलहाल दहेगांव गोवरी क्षेत्र की यह खदान विवाद का केंद्र बनी हुई है और स्थानीय ग्रामीणों ने आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है।
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दहेगांव-गोवरी में प्रस्तावित भूमिगत कोयला खदान प्रकल्प का संपूर्ण गांवों का विरोध है। यदि, सरकार ने मंजूरी रद्द नहीं की तो इसके विरोध में आमरण अनशन किया जाएगा, जिसमें पूरा गांव भी शामिल होगा। फिर चाहे नतीजा जो भी हो। आगे इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
– स्वप्निल ज्ञानेश्वर गावंडे, सरपंच, ग्राम पंचायत वलनी