नागपुर न्यूज
Nagpur Latest News: धंतोली पुलिस ने सेंट्रल जेल के 40 बंदियों के खिलाफ फर्जी चिकित्सीय प्रमाणपत्रों के आधार पर अभिवचन रजा (पैरोल) पर जाने की कोशिश करने के आरोप में मामला दर्ज किया है। एक साथ इतने बंदियों के विरुद्ध मामला दर्ज होने की यह जेल विभाग के इतिहास में पहली घटना बताई जा रही है। दर्ज मामलों में आजीवन कारावास और सश्रम कारावास की सजा काट रहे बंदी भी शामिल हैं।
कारागृह रक्षक मयूर नागपुरे की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया। जनवरी से जून के बीच सेंट्रल जेल के सजायाफ्ता बंदियों ने अपने परिजनों के बीमार होने का हवाला देते हुए उनके चिकित्सीय प्रमाणपत्र कारागृह प्रशासन को सौंपे और उनके आधार पर पैरोल की मांग की। वरिष्ठ कारागृह अधिकारी नितिन क्षीरसागर ने ये प्रमाणपत्र पूर्व विभाग के कारागृह उपमहानिरीक्षक को भेजे और पुलिस जांच रिपोर्ट की भी मांग की।
उपमहानिरीक्षक ने प्रमाणपत्रों की सत्यता की जांच के लिए उन्हें मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भेजा। जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि प्रस्तुत नमूने गलत हैं और चिकित्सक इस प्रकार के नमूनों में बीमारी का निदान नहीं करते। मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने प्रमाणपत्रों को फर्जी बताते हुए अपनी रिपोर्ट कारागृह प्रशासन को सौंपी।
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इसके बाद 40 बंदियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया। इस मामले की जांच धंतोली की थानेदार अनामिका मिर्झापुरे के मार्गदर्शन में की जा रही है। पैरोल नामंजूर होने के बाद एक बंदी ने उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दाखिल की। न्यायालय ने यह पूछताछ की कि उसकी रजा क्यों नामंजूर की गई।
जांच में पता चला कि बंदी ने फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर छुट्टी लेने की कोशिश की थी। अदालत को यह भी बताया गया कि अन्य बंदियों ने भी इसी प्रकार के फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से पैरोल के लिए आवेदन किए थे। इसके बाद न्यायालय ने 40 बंदियों के विरुद्ध मामला दर्ज करने के निर्देश कारागृह प्रशासन को दिए।