सुप्रीम कोर्ट (pic credit; social media)
Maharashtra News: गेटवे ऑफ इंडिया पर प्रस्तावित नए यात्री जेट्टी और टर्मिनल परियोजना को सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दे दी है। सोमवार को कोर्ट ने इस परियोजना के खिलाफ दायर याचिका खारिज करते हुए साफ कर दिया कि यह सरकार के नीतिगत अधिकार क्षेत्र का मुद्दा है और केवल कुछ निवासियों की आपत्तियों के आधार पर इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
229 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड (एमएमबी) द्वारा विकसित किया जा रहा है। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी 15 जुलाई को इस परियोजना के खिलाफ दाखिल तीन याचिकाएं खारिज की थीं।
प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने लॉग डी सूजा की अपील खारिज करते हुए कहा कि यह फैसला पूरे शहर के हित में है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोलाबा में ताज महल पैलेस होटल और आसपास रहने वाले निवासियों की शिकायतों को देखते हुए इतनी बड़ी परियोजना को रोकना उचित नहीं होगा।
सुनवाई के दौरान यह बहस भी हुई कि यह मामला “आमची मुंबई बनाम त्यांची मुंबई” जैसा है। अधिवक्ताओं के बीच इस पर मतभेद रहे कि कोलाबा के लोग संभ्रांत हैं या क्षेत्र में गरीब तबका भी रहता है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि इस तरह के वर्गीकरण के आधार पर फैसला नहीं किया जा सकता।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह परियोजना दक्षिण मुंबई से नवी मुंबई, मांडवा और अलीबाग के बीच यात्रा समय को कम करेगी। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि शहर के सामूहिक हित को देखते हुए कुछ लोगों की असुविधा को प्राथमिकता नहीं दी जा सकती।
यह परियोजना गेटवे ऑफ इंडिया से लगभग 280 मीटर दूर, समुद्र में करीब 1.5 एकड़ क्षेत्र में विकसित की जाएगी। इसमें 150 कारों की पार्किंग, वीआईपी लाउंज, प्रतीक्षा क्षेत्र, एम्फीथिएटर और टिकट काउंटर जैसी आधुनिक सुविधाएं होंगी।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद परियोजना के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। अब मुंबई को एक अत्याधुनिक यात्री जेट्टी और टर्मिनल सुविधा मिलने की उम्मीद है, जो समुद्री यातायात को नया आयाम देगी।