पुरुषों में स्पर्म क्वालिटी पर संकट (pic credit; social media)
Mumbai health news: मुंबई के डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि 25 से 40 वर्ष की उम्र के पुरुषों में स्पर्म क्वालिटी खतरनाक रूप से गिर रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्पर्म की संख्या, गतिशीलता और आकार में लगातार कमी आ रही है, जिससे पुरुष बांझपन का खतरा तेजी से बढ़ रहा है।
अंधेरी के 35 वर्षीय करण (परिवर्तित नाम) इसका उदाहरण हैं। शादी के दो साल बाद पिता बनने का प्रयास करने पर जांच में उनके शून्य स्पर्म काउंट का पता चला। निदान हुआ कि उन्हें ओब्स्ट्रक्टिव एजूस्पर्मिया है यानी शुक्राणु ले जाने वाली नलिकाओं में रुकावट। समय पर इलाज मिलने से इस साल मई में उनके घर स्वस्थ बच्चे का जन्म हुआ।
फर्टिलिटी विशेषज्ञ (नोवा आईवीएफ, विरार) बताते हैं, “एजूस्पर्मिया 1% पुरुषों और 5–10% बांझ पुरुषों में पाया जाता है। हमारे केंद्र में आने वाले हर 20 मरीजों में से दो को यह समस्या होती है।” यह दो प्रकार का होता है—ओब्स्ट्रक्टिव (नलिकाओं में रुकावट) और नॉन-ओब्स्ट्रक्टिव (वृषण में शुक्राणु न बनने की स्थिति)।
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डॉक्टरों के अनुसार, हार्मोनल असंतुलन, जेनेटिक समस्या, पुराना संक्रमण, डायबिटीज, वैरिकोसील, कुछ दवाइयाँ और खराब जीवनशैली इसके प्रमुख कारण हैं। धूम्रपान, शराब, मोटापा, तनाव, अधिक गर्मी और रसायनों का संपर्क भी स्पर्म क्वालिटी को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं।
लक्षणों में बांझपन सबसे अहम है, लेकिन कुछ मामलों में कामेच्छा में कमी, मांसपेशियों की कमजोरी या अंडकोष की सूजन भी देखी जाती है। इलाज न मिलने पर यह मानसिक तनाव और रिश्तों में दरार का कारण बन सकता है।
हालांकि राहत की बात यह है कि चिकित्सा विज्ञान ने नई उम्मीदें जगाई हैं। आईसीएसआई (इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन) और स्पर्म रिट्रीवल जैसी तकनीकों से ऐसे पुरुष भी पिता बन सकते हैं जिनमें शून्य स्पर्म काउंट हो। डॉक्टरों का सुझाव है कि संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव नियंत्रण और धूम्रपान-शराब से दूरी रखकर पुरुष अपनी प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रख सकते हैं।