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पर्युषण पर नहीं बंद होंगे कत्लखाने, कोर्ट के फैसले से जैन समाज में नाराजगी

Mumbai News: जैन समाज ने कोर्ट के उस फैसले पर नाराज़गी जताई है, जिसमें पर्युषण महापर्व के 9 दिनों में कत्लखाने बंद करने की मांग खारिज कर दी गई।

  • By सोनाली चावरे
Updated On: Aug 23, 2025 | 08:08 AM

पर्युषण महापर्व (pic credit; social media)

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Maharashtra News: जैन समुदाय पर्युषण महापर्व के दौरान 9 दिनों तक कत्लखाने बंद करने की मांग कर रहा था, लेकिन कोर्ट ने इसे 2 दिन तक सीमित करने का फैसला सुनाया है. इस फैसले पर जैन समुदाय की प्रतिक्रिया में मिश्रित भावनाएं हैं। कुछ लोग कोर्ट के फैसले से निराश हैं, जबकि कुछ इसे स्वीकार करने को तैयार हैं।

कुछ जैन संगठनों ने कोर्ट के फैसले पर निराशा व्यक्त की है, क्योंकि उनका मानना है कि पर्युषण पर्व के दौरान 9 दिनों तक कत्लखाने बंद होने चाहिए, जो अहिंसा के सिद्धांत का सम्मान करने का एक तरीका है। जैन समाज के समाजसेवी नरेश शाह का कहना है कि यह फैसला जैन धर्म के अहिंसा के सिद्धांत का उल्लंघन है और पर्युषण पर्व के दौरान पशु वध जैन धर्म के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। उनका कहना है कि 9 दिनों तक कत्लखाने बंद न करने का मतलब है कि इस दौरान पशुओं की हत्या जारी रहेगी, जो जैन धर्म के अहिंसा के सिद्धांत का उल्लंघन है।

‘जिओ और जीने दो’ से लेना चाहिए सबक

जैन नेता संजय जैन ने कहा कि यह फैसला उनकी धार्मिक भादनाओं को ठेस पहुंचाता है। पर्युषण पर्श जैन धर्म वा एक प्रमुख पर्व है, जिसे 9. दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान जैन धर्म के लोग उपवास, ध्यान और आत्म-चिंतन करते हैं। साथ ही अहिंसा के पालन पर और दिया जाता है। इस पर्व में जैन धर्म के लोग उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आकिचन्य और ब्रहमचर्य का पालन 5 करते हैं, समुदाय का मानन है कि पर्युषण जैसे पवित्र अवसर पर पशु वध करना उनके अहिंसा के सिद्धांत के खिलाफ है,

राजेश जैन देहू ने कहा कि भगवान महावीर के संदेश ‘जिओ और जीने दो’ की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए जैन धर्म के पर्युक्षण पर्व का ख्याल रखते हुए कत्लखानों को 9 दिनों तक बद रखना ही उचित था, लेकिन सरकार और कॉर्ट के आगे समाज के लोग कुछ नहीं कर सकते, कांदिवली श्वेतांबर जैन देरासर के भक्त हार्दिक हुडिया, कीर्ति शाह और हसमुख शाह ने कहा कि पर्युषण पर्व के ये 9 दिन पूरी दुनिया के जैनों के लिए प्रार्थना और क्षमा मांगने का है। अहिंसा हमारा धर्म है।हम चाहते है कि मुंबई के सभी बूचड़खाने बंद होने चाहिए।

अनुयायियों की संख्या 40 लाख से ज्यादा

मुंबई में करीब 20 लाख जैन समाज के लोग रहते है. पर्युषण पर्व चर्व घर बूचड़खाने बंद बंद करने की यह माग अब चार्मिक से अधिक राजनीतिक रग ले चुकी है. वही, मुंबई के बाहर ढाणे, नवी मुंबई, पालघर, कल्याण, डोंबिवली, भिवंडी, वसई-चिरार, मीरा-भायंदर में जैन समाज के अनुयायियों की संख्या 40 लाख से ज्यादा बताई जा रही है।

गणपत कोठारी, सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि जैन धर्म में अंहिस्सा को की सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत माना गया है और जीवदया इसी का पालन है। सनातन धर्म अहिंसा की सीख देता है। 9 दिन कत्लखाना बंद रखने से गैर जैनियों का बहुत बड़ा नुकसान नहीं हो जाता था। अदालत को जैन समाज की भावनाओं को सम्झना चाहिए था।

दिलीप शाह, सामाजिक कार्यकर्ता कहना है कि सभी जीधी में आत्मा होती है और हर किसी को जीने का अधिकार है। इसलिए उन्हें कष्ट पहुंचाना या मारना नहीं चाहिए, पर्युषण पर्व पर मुंबई एवं ठाणे में दो से तीन दिन कालखाने बंद रहते थे। गुजरात में दस दिनों तक कत्लखाने बंद रहते हैं। अदालत ने जो भी फैसला दिया है, उसका पालन करना चाहिए। हमे ऊपर वाले के न्याय पर पूरा भरोसा है।

जगदीश जैन, मुलुंड का कहना है कि जैन धर्म निओ और जीने दो के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमे मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी प्राणी, पशु और पक्षी, बिना किसी नुकसान के स्वतंत्र रूप से जीवन जीने का अधिकार रखते हैं। पर्युषण पर्व में जैन धर्म को मानने वाले पूजा पाठ करते है, ऐसे में जीव हत्या ठीक नहीं है। अदालत को इस पर गौर करना चाहिए।

 

समाजसेवक भरत शाह का कहना है कि बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले से जैन समाज के लोग काफी आहत है। पर्युषण पर्व के दौरान 10 दिनों तक बूचड़खानों को बंद रखाने की मांग जैन समाज की कई संस्थाओं द्वारा की गई थी, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार्य कर दिया है, जैन समुदाय सत्य एवं अहिन्सा का पालन कर शांति का संदेश देता है।

Slaughter houses will not be closed on paryushan jain community is angry with the court decision

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Published On: Aug 23, 2025 | 08:08 AM

Topics:  

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  • Mumbai News

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