शरद पवार और उद्धव ठाकरे (सौजन्य-एक्स)
मुंबई: शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी-एसपी शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से महाराष्ट्र में स्कूली पाठ्यक्रम में हिंदी को ‘थोपे जाने’ के खिलाफ 5 जुलाई को होने वाले विरोध मार्च का समर्थन करने का फैसला कर लिया है। राज्य सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत त्रि-भाषा फॉर्मूला लागू करने की योजना के खिलाफ यह विरोध आयोजित किया जा रहा है।
इस शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी को अनिवार्य करना है। एनसीपी-एसपी की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल ने सोशल मीडिया पर एक पत्र साझा किया और इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी क्षेत्रीय हितों के मामलों में महाराष्ट्र के लोगों के साथ मजबूती से खड़ी है। पाटिल ने कहा कि इस कदम का शिक्षाविदों, अभिभावकों, भाषाविदों एवं कार्यकर्ताओं ने विरोध किया है और वे दलील दे रहे हैं कि प्रारंभिक शिक्षा बच्चे की मातृभाषा में होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मराठी भाषी आबादी हिंदी सहित कई भाषाओं को सीखने के खिलाफ नहीं है। पाटिल ने जोर देकर कहा कि प्राथमिक स्तर पर हिंदी को थोपना अस्वीकार्य है। उन्होंने चेतावनी दी, “अगर तीन-भाषा नीति का इस्तेमाल मातृभाषा को दरकिनार करने के लिए किया जा रहा है, तो मराठी भाषी समुदाय एकजुट होकर ऐसे कदमों का विरोध करेगा।”
एनसीपी-एसपी के संस्थापक शरद पवार ने कहा है कि पहली से चौथी कक्षा तक के छात्रों के लिए हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाना उपयुक्त नहीं है। सरकार को इस आयु वर्ग के बच्चों पर हिंदी थोपने की जिद नहीं करनी चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पांचवीं कक्षा से हिंदी पढ़ाना विद्यार्थियों के हित में है।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के लोग हिंदी के विरोध में नहीं हैं, लेकिन पहली से चौथी तक की कक्षाओं में मातृभाषा का विशेष महत्व है। उस उम्र में बच्चों के ऊपर एकदम नई भाषा का बोझ डालना उचित नहीं है। राज ठाकरे द्वारा 5 जुलाई को मुंबई में निकाले जाने वाले सर्वपक्षीय मोर्चे में शामिल होने के सवाल पर पवार ने कहा, मैंने दोनों ठाकरे (राज और उद्धव) के बयान पढ़े हैं। मुंबई जाने पर मैं उनकी बातों को समझने की कोशिश करूंगा।
राज चाहते हैं कि विभिन्न राजनीतिक दल उनके कार्यक्रम में शामिल हों। लेकिन अगर किसी कार्यक्रम में भाग लेना है, तो पहले उसकी नीति को समझना जरूरी होता है। कोई भी कहे और उसमें भाग ले लिया जाए, ऐसा नहीं हो सकता। अगर उनका मुद्दा राज्य के हित में है, तो उस पर निर्णय लेना जरूरी है।
भयभीत BJP बोली हम नहीं डरते, उद्धव-राज की नजदीकियों से महायुति में मची खलबली
पवार ने राज की इस टिप्पणी पर भी चुटकी ली जिसमें उन्होंने कहा था, मोर्चे में कौन शामिल होता है और कौन नहीं, यह देखा जाएगा। इस पर पवार ने कहा कि राज को यह जिद क्यों करनी चाहिए कि सचिन तेंदुलकर को मराठी भाषा के मुद्दे पर बोलना चाहिए। सचिन से क्रिकेट के बारे में पूछना चाहिए। ‘देख लूंगा’ जैसी भाषा का इस्तेमाल करना उचित नहीं है।