शक्तिपीठ हाईवे (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: राज्य मंत्रिमंडल ने बहुचर्चित नागपुर-गोवा शक्तिपीठ हाईवे के लिए मंगलवार 22 जून को भूमि अधिग्रहण को मंजूरी दे दी थी। इससे शक्तिपीठ महामार्ग के भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद थी, लेकिन इसी बीच वित्त विभाग की ओर से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शक्तिपीठ हाईवे के निर्माण के लिए जरूरी धनराशि राज्य सरकार के कर्ज के बोझ को भारी बढ़ा देगी।
यह रिपोर्ट अर्थ मंत्री अजित पवार के नियंत्रण में आने वाले वित्त विभाग द्वारा तैयार कर पेश की गई है। यह रिपोर्ट और इसकी टाइमिंग इस समय राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। वित्त विभाग ने इस रिपोर्ट में कहा है कि शक्तिपीठ परियोजना के लिए राज्य पर 20,787 करोड़ रुपये का बड़ा वित्तीय दायित्व आएगा।
बजट अनुमान के अनुसार, मार्च 2026 तक राज्य सरकार के ऊपर कुल 9.32 लाख करोड़ रुपये का कर्ज का बोझ आने की पूरी संभावना है। नागपुर-गोवा शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे के भूमि अधिग्रहण के लिए मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर 20,787 करोड़ रुपये के कर्ज की गारंटी के वजह से राज्य पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा और बजट से बाहर का कर्ज राज्य की कर्ज लेने की क्षमता को प्रभावित करेगा, यह नोट वित्त विभाग ने जारी किया।
शक्तिपीठ हाईवे देश के सबसे बड़े सड़क आधारभूत सुविधा प्रोजेक्ट्स में से एक है। इस नोट में उच्च ब्याज दर पर कर्ज लेने पर सवाल उठाए गए हैं और राज्य की आर्थिक स्थिति पर भी ध्यान दिया गया है। मेगा प्रोजेक्ट्स के लिए राज्य सरकार की (बीओटी) पॉलिसी की पुनः समीक्षा करने और उपलब्ध वित्तीय संसाधनों का सही उपयोग कर परियोजनाओं को प्राथमिकता देने की सलाह दी गई है।
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धाराशिव में नागपुर-गोवा शक्तिपीठ महामार्ग के विरोध में किसान खड़े हो गए हैं। लगातार दो दिन से वानेवाडी के किसानों ने भूमि अधिग्रहण के लिए आए अधिकारियों को हटा दिया था और अपनी पुश्तैनी जमीनें सरकार को देने से मना कर दिया था। इस बीच किसानों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई। लेकिन, किसानों का साफ कहना है कि वे किसी भी हाल में अपनी जमीन नहीं देंगे।