सीएम देवेंद्र फडणवीस (सौजन्य-सोशल मीडिया)
मुंबई: महाराष्ट्र की महायुति सरकार के मंत्री जयकुमार गोरे ब्लैकमेलिंग मामले में विपक्ष का दांव उल्टा पड़ गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को इस संबंध में बड़ा खुलासा करते हुए अप्रत्यक्ष रूप से राकां शरदचंद्र पवार पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले एवं विधायक रोहित पवार पर साजिश रचने का आरोप लगाया है। इस मामले में टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने सदन को बताया कि एनसीपी शरद चंद्र पवार की पार्टी के विधायक रोहित पवार और सांसद सुप्रिया सुले इस मामले के आरोपियों के संपर्क में थे।
महाराष्ट्र विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान मंत्री धनंजय मुंडे के इस्तीफे से और मंत्री माणिकराव कोकाटे को कोर्ट से मिली सजा के बीच मंत्री जयकुमार गोरे पर महिला को आपत्तिजनक तस्वीरें भेजने का आरोप लगा था। विपक्ष द्वारा गोरे के इस्तीफे की मांग किए जाने के दौरान एक पत्रकार एवं मामले की कथित पीड़िता को एक करोड़ रुपए की फिरौती वसूलने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
इस मामले में सीएम फडणवीस ने कहा कि जयकुमार गोरे के साथ जो हुआ, उसे किसी का राजनीति करियर खत्म करने की साजिश कहा जा सकता है। लेकिन गोरे के साहस की सराहना की जानी चाहिए। पुलिस ने जाल बिछाकर आरोपी को पकड़ लिया है। गोरे से जुड़ी घटना महत्वपूर्ण है। इन आरोपियों के तार राकां शरदचंद्र पवार पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले और विधायक रोहित पवार से जुड़े हैं। सुप्रिया और रोहित ने पत्रकार तुषार खरात को कई बार फोन किया था।
मंत्री जयकुमार गोरे द्वारा लाए गए विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव पर बोलते हुए विधायक रोहित पवार ने कहा कि इस सदन में एक व्यक्ति ने विशेषाधिकार हनन का मामला पेश करने के दौरान सदन को गलत जानकारी दी। हम बस इतना ही कहना चाहते हैं कि यह गलत है। यह हमें लोकतंत्र के तहत दिया गया संवैधानिक अधिकार है। अगर हमें इसका प्रयोग करने का अवसर नहीं दिया जाता है, तो इसका अर्थ यही होगा कि इस पवित्र सदन में संविधान के मूल मुद्दों, मौलिक बातों का पालन नहीं किया जा रहा है। मैं बस इतना पूछना चाहता हूं कि अगर अत्याचार का यह मुद्दा आपके पास आया होता तो आप भी इस मुद्दे को उठाते।
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इसी दौरान रोहित ने मंत्री गोरे पर एक नया आरोप जड़ दिया। उन्होंने कहा कि मैं यह पूछना चाहता हूं कि मातंग समाज का एक व्यक्ति अपने अधिकारों के लिए लड़ रहा है। उस पीड़ित का नाम भिसे है। 2016 में भिसे के पिता की मौत हो गई थी लेकिन मरे हुए पिता के नाम और तस्वीर का इस्तेमाल करके उसकी जमीन हड़पी जा रही है। हम इसके खिलाफ बोलना चाहते हैं लेकिन हमें बोलने नहीं दिया जाता होगा तो यह कहां तक सही होगा? भिसे परिवार को न्याय कब मिलेगा? विधायिका को उस अन्याय के खिलाफ न्याय करना चाहिए। हर विधायक को इस ओर ध्यान देना चाहिए। हालांकि बीजेपी विधायक अतुल भातखलकर ने रोहित के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि रोहित मुद्दे से हटकर बात कर रहे हैं इसलिए उनके बयान को कामकाज से हटा दिया जाना चाहिए