
महाविकास आघाड़ी (सौ. सोशल मीडिया )
Maharashtra Local Body Election: मुंबई महानगरपालिका सहित राज्य के अन्य स्थानीय निकाय चुनावों की पृष्ठभूमि में महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी के भविष्य पर सर्वाधिक संदेह के बादल मंडरा रहे हैं।
गठबंधन में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) की एंट्री पर मतभेद इसकी बड़ी वजह है। एक तरफ जहां पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी शिवसेना यूबीटी (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के मनसे से गठबंधन करने का निर्णय ले चुके हैं, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस मविआ में मनसे की एंट्री का विरोध कर रही है।
लेकिन जानकार कांग्रेस के विरोध को महज प्रेशर गेम बता रहे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव भी इसकी एक बड़ी वजह मानी जा रही है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और आखिरी चरण के तहत 11 नवंबर को होनेवाले मतदान के बाद कांग्रेस खासकर मुंबई में मनसे पर अपना मन बदल सकती है।
महाराष्ट्र में निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है। नगर परिषद की 246 और नगर पंचायत की 42 सीटों के लिए नामांकन पत्र भरने की प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो गई है। इसी के साथ राज्य में विपक्षी सियासी दलों में गठबंधन पर जबर्दश्त प्रेशर गेम भी शुरू हो गया है।
विपक्षी गठबंधन मविआ में कांग्रेस के बड़े नेता अब तक मनसे को शामिल करने का विरोध कर रहे थे लेकिन सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा में कांग्रेस के नेता विजय वडेट्टीवार ने मुंबई में अपने दम पर चुनाव लड़ने का दावा करके पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनकी पार्टी यूबीटी सहित सभी को सकते में डाल दिया। क्योंकि खासकर मुंबई मनपा चुनाव की पृष्ठभूमि में उद्धव और राज के बीच नजदीकियां काफी बढ़ गई हैं।
उद्धव कई मौकों पर खुलकर कह चुके हैं कि हम साथ रहने के लिए नजदीक आए हैं। यूबीटी के नेता कहते रहे हैं कि मनसे को मविआ में शामिल करने के लिए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से राष्ट्रवादी काँग्रेस पक्ष चर्चा चल रही है। लेकिन वडेट्टीवार की घोषणा को राज्य के सियासी गलियारे में सीट बंटवारे के लिए कांग्रेस का दबाव तंत्र कहा जा रहा है।
मनसे व उसके नेता राज ठाकरे की हिंदी भाषी और मुसलमान विरोधी छवि के कारण कांग्रेस को अपने परंपरागत वोट बैंक के बिदकने का डर सता रहा है। खासकर बिहार चुनाव को देखते हुए कांग्रेस अभी तक मनसे से सीधे गलबहियां करने से बचती रही है।
मुंबई में बीजेपी नीत महायुति का एकजुट होकर चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। ऐसे में दावा किया जा रहा है कि मविआ के घटक दल अलग-अलग चुनाव लड़ने का जोखिम मोल नहीं ले सकते हैं। इसलिए बिहार चुनाव के बाद कांग्रेस बीएमसी बीजेपी को काबिज होने से रोकने के बहाने राज की मविआ में एंट्री को हरी झंडी दिखा सकती है। एक अटकल ये भी लगाई जा रही है कि मनसे को सीधे गठबंधन में शामिल करने की बजाय मनसे को शिवसेना के कोटे से सीटें दिलवा कर गठबंधन में शामिल किया जा सकता है।
मुंबई महानगरपालिका चुनाव के बारे में पूछे गए प्रश्न पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष हर्षवर्धन सपकालने कहा कि मुंबई महानगरपालिका चुनाव स्वबल (अपने दम पर) लड़ने की भावना कई नेताओं पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में है और यह भावना समय-समय पर व्यक्त की गई है, लेकिन अभी तक मुंबई महानगरपालिका के चुनाव घोषित नहीं हुए है। चुनाव घोषित होने के बाद ही इससे संबंधित निर्णय लिया जाएगा।
फिलहाल मविआ में ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए कांग्रेस के साथ-साथ मनसे ने भी दबाव तंत्र का प्रयोग शुरू कर दिया है। सोमवार को कुछ रिपोटों में दावा किया गया है कि मनसे की अब तक की समीक्षा बैठकों के बाद राज ने मुंबई की 227 में से 125 सीटों को अपनी पार्टी के लिए अनुकूल माना है और यहां अपने उम्मीदवार लड़ाने की तैयारी में हैं।
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इनमें माहिम, दादर, परेल, लालबाग, भांडुप, विक्रोली, घाटकोपर, जोगेश्वरी, भायखला, वर्ली जैसी ज्यादातर मराठी भाषी बहुल मतदाताओं वाली सीटें शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर सीटों पर पहले से ही यूबीटी के उम्मीदवारों का कब्जा रहा है।






