मनोज जारंगे (Image- Social Media)
Maharashtra News: मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जारंगे ने लातूर जिले में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के एक युवक की आत्महत्या के लिए शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। जरांगे ने मराठा और ओबीसी दोनों समुदाय के लोगों से ऐसा अतिवादी कदम न उठाने का आग्रह किया।
वंदागिरी गांव निवासी भरत कराड (35) ने बुधवार शाम मंजरा नदी में कथित तौर पर कूदकर अपनी जान दे दी थी। परिजनों के मुताबिक, कराड का मानना था कि हाल ही में जारी सरकारी प्रस्ताव (जीआर), जो मराठों को कुछ शर्तों के साथ कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की अनुमति देता है, ओबीसी के लिए आरक्षण को खत्म कर देगा।
यह जीआर मुंबई में जारंगे की ओर से की गई भूख हड़ताल के बाद जारी किया गया था। जारंगे ने जालना में अपने गांव अंतरवाली सरती में पत्रकारों से बातचीत में कहा, ”किसी भी समुदाय के युवाओं को आत्महत्या का रास्ता नहीं अपनाना चाहिए। युवाओं को निराशा में धकेलने के लिए सरकार जिम्मेदार है।”
यह पूछे जाने पर कि ओबीसी समुदाय मराठों को आरक्षण देने के लिए उन्हें (कुनबी के रूप में वर्गीकृत करके) ओबीसी श्रेणी में शामिल किए जाने का विरोध कर रहे हैं, जारंगे ने दावा किया कि केवल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से जुड़े ओबीसी नेता एवं मंत्री छगन भुजबल ही इसके खिलाफ हैं।
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जरांगे ने कहा, ”भुजबल नाटक कर रहे हैं… हम ओबीसी के खिलाफ नहीं हैं। हम केवल ओबीसी कोटे के तहत अपना उचित हिस्सा मांग रहे हैं।” उन्होंने कहा कि मराठा नेताओं को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) या सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) श्रेणियों के तहत आरक्षण को अस्वीकार कर देना चाहिए, क्योंकि यह 50 फीसदी की सीमा का उल्लंघन करता है।