बाढ़ से महाराष्ट्र बेजार, पीड़ितों की मदद के लिए मंदिरों ने खोला खजाना
Mumbai News: सितंबर का महीना खत्म होने को है लेकिन महाराष्ट्र में बारिश का प्रकोप थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। बीते सप्ताह भर से जारी बारिश के कारण मराठवाड़ा की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है। बरसाती बाढ़ से मराठवाड़ा में 70 लाख एकड़ जमीन फसलों सहित नष्ट हो गई है। धाराशिव, बीड, जालना, लातूर, नांदेड़, परभणी, सोलापुर, जलगांव जिलों में न केवल फसलें, बल्कि खेतों की मिट्टी भी बह गई है। 36 लाख किसानों का जीवन बर्बाद हो गया है।
इसलिए न केवल फसलों का, बल्कि बंजर हो चुकी भूमि के लिए भी किसान मुआवजे की मांग कर रहे हैं। जबकि सरकार की तिजोरी पहले से ही खाली है। कई योजनाओं एवं विकास कार्यों के बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में सरकार और बरसाती बाढ़ से प्रभावितों के लिए राज्य के मंदिरों ने अपनी तिजोरी खोल दी है।
पंढरपुर स्थित श्री विट्ठल रुक्मिणी मंदिर समिति ने बाढ़ राहत के लिए 1 करोड़ रुपये की निधि की घोषणा की है। मंदिर समिति की ओर से मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ रुपए जमा किए जाएंगे। मंदिर समिति के सह-अध्यक्ष एच.बी.पी. गहिनीनाथ महाराज औसेकर ने रविवार को कहा कि बाढ़ पीड़ितों को महावस्त्र भी वितरित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि बाढ़ या अन्य आपदाओं के समय मंदिर समिति हर बार मुख्यमंत्री राहत कोष में दान देता रहा है।
साईंबाबा संस्थान ने मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ रुपए देने की घोषणा की है। इस राशि का उपयोग राज्य में भारी बारिश से हुए नुकसान के लिए तत्काल राहत प्रदान करने के लिए किया जाएगा।
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इसी तरह राज्य के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए ‘श्री गजानन महाराज संस्थान, शेगांव’ की ओर से ‘मुख्यमंत्री राहत कोष’ में 1 करोड़ 11 लाख रुपए दिए गए हैं। संस्थान की ओर से रविवार को नागपुर में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को उक्त रकम का चेक सौंपा गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री फडणवीस ने संस्थान का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को नागपुर में ‘एंडेवर ग्रीन सॉल्यूशन’ की ओर से ‘मुख्यमंत्री राहत कोष’ के लिए ₹51,000 का चेक सौंपा गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री फडणवीस ने उनका भी आभार व्यक्त किया।