बीएमसी (pic credit; social media)
Mumbai News In Hindi: दक्षिण मुंबई के प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्र कालबादेवी का विकास क्लस्टर डेवलपमेंट से ही हो सकता है। पुरानी जर्जर इमारतें, तंग गलियां, पार्किंग का अभाव जैसी सभी बुनियादी सुविधाएं सब तकलीफ क्लस्टर डेवलपमेंट से दूर हो सकती है।
इसके लिए मकान मालिक और किरायेदारों को आगे आना होगा, क्लस्टर डेवलपमेंट में सरकार भी ज्यादा एफएसआई देती है, इसलिए दोनों पक्षों को आगे आकर नई मज़बूत इमारतों का निर्माण करना चाहिए। यह बात मुंबई महानगरपालिका के सी वार्ड के सहायक आयुक्त संजय इंगले ने भारत मर्चेट्स चेम्बर में कपड़ा व्यापारियों के समक्ष कही।
गौरतलब है कि कालबादेवी के पुनर्विकास की बातें कई वर्षों से हो रही हैं, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हो पाई है। पुनर्विकास में सबसे बड़ी बाधा मकान मालिक और किरायेदारों के कीच आपसी भरोसे की कमी है। चूंकि यहां लगभग अधिकांश इमारतें करीब 100 साल पुरानी हैं और पगड़ी सिस्टम पर हैं। पगड़ी एक पारंपरिक किरायेदारी व्यवस्था है, जिसमें किरायेदार एकमुश्त राशि (पण्ड़ी) का भुगतान करके संपत्ति का आंशिक मालिक बन जाता है और बाजार की तुलना में बहुत कम यानी नाममात्र किराया देता है। पगड़ी सिस्टम में दोनों ही खुद को मालिक समझाते हैं और इनमें अक्सर विवाद चलते रहते हैं। यही अब इस क्षेत्र के रिडेवलपमेंट में एक बड़ी बाधा है।
कार्यक्रम में भारत मर्चट्स चेम्बर के अध्यक्ष मनेज जालान ने कालखदेती में नागरिक सुविधाओं में कनी की बात सहायक आयुक्त के समक्ष रखी गतान ने सी वाई में फुटपाथों पर कब्जा, हाउस गली की साफ-सफाई, पार्किंग आदि का मुद्दा संजय इंगले के समक्ष उठाया, इन्स पर सहायक आयुक्त ने कहा कि अधिकतर जगह से अनाधिकृत फेनी वालो को हटाया गया है। अवैध पार्किंग भी पुलिस के साथ मिल कर हटाई जा रही है। उन्होंने व्यापारियों ये कहा कि बीएमसी उनके साथ है। और एस्टॅब्लिशमेंट जैसे कानून को सरत बनाया गया है।
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सी वार्ड में आर्थिक राजधानी के कई प्रमुख थोक एवं रिटेल बाजार हैं और ये सभी 100 से 125 साल पुराने हैं। स्वदेशी मार्केट, मंगलदास मार्केट, एमते मार्केट, एलके मार्केट सहित 12 तो कपड़ा बाजार ही हैं। इनके अलावा बुलियन मार्केट (झवेरी बाजार), इमिटेशन ज्वेलरी मार्केट, मेटल मार्केट, इलेवट्रिकल मार्केट, यार्न मार्केट जैसे अलग-अलग व्यवसाय वाले कई प्रमुख बाजार है। सी वार्ड में कालबादेवी, भुलेश्वर, पायधुनी, अब्दुल रहमान स्ट्रीट, चोरा बाजार, प्रिसेन स्ट्रीट जैसे आजादी पूर्व स्थापित कई पुराने व्यावसायिक इलाके हैं, जहां रोजाना करोड़ों रुपये का कारोबार होता है और इनका मुंबई और महाराष्ट्र के राजस्व में अहम योगदान है। काफी कंजस्टेड, गंदगी एवं भीड़-भाड़ वाले इन सभी बाजारों में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है।