एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Mahayuti Alliance: शिवसेना शिंदे गुट की नेता डॉ. नीलम गोर्डे ने एक कार्यक्रम में डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को ‘महिलाओं के दिलों का मुख्यमंत्री’ कहकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना दिया। इसी पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस विषय को लेकर रोचक प्रतिक्रिया दी है।
एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि शिंदे और मैं मुख्यमंत्री पद की अदला-बदली कर रहे हैं। कभी में मुख्यमंत्री होता हूं तो कभी वह। फडणवीस ने हंसते हुए कहा कि अगर शिंदे को दोबारा मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो भी मैं सुरक्षित रहूंगा क्योंकि वे सीएम पद वापस कर देंगे और मुझे फिर से मुख्यमंत्री बना देंगे। ऐसे में शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने में कोई जोखिम नहीं है।
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों से पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को कहा कि सत्तारूढ़ महायुति के सहयोगी एकजुट हैं। उन्होंने कहा कि भले ही चुनाव पूर्व गठबंधन न हो लेकिन चुनाय बाद गठबंधन निश्चित है। कोल्हापुर में पत्रकारों के साथ बातचीत में फडणवीस ने कहा कि वे चुनाव का सामना करने के लिए तैयार हैं। सत्तारूढ़ महायुति में भाजपा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार की राकांपा शामिल हैं।
राज्य चुनाव आयुक्त दिनेश वाघमारे ने मंगलवार को बताया कि महाराष्ट्र में 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों के लिए चुनाव दो दिसंबर को होंगे और मतों की गिनती तीन दिसंबर को होगी, वाघमारे ने 29 नगर निगमों, 32 जिला परिषदों और 336 पंचायत समितियों के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा नहीं की, जहां चुनाव होने हैं। फडणवीस ने कहा कि चुनावों की घोषणा हो चुकी है और हम चुनाव का सामना करने के लिए तैयार हैं।
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मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रति हमारे मन में आदर है लेकिन एकनाथ शिंदे ही जनता के मन के मुख्यमंत्री है। यह बयान विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए दिया। डॉ. गोर्हे की पुस्तक ‘दाही दिशा’ का विमोचन उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के हाथों हुआ।
इस अवसर पर मंत्री चंद्रकांत पाटिल, मंत्री उदय सामंत उपस्थित थे। गोर्हे ने कहा कि मुख्यमंत्री फडणवीस के प्रति हमें आदर है ही लेकिन ‘लाडली बहन’ योजना के कारण एकनाथ शिंदे ही महिलाओं के मन के मुख्यमंत्री बन गए हैं। आज राजनीति में महिलाओं को स्थान तो मिला है लेकिन उनकी सुरक्षा और सशक्तिकरण का काम अभी अधूरा है।