कांग्रेस की पदयात्रा (सौजन्य-एक्स)
Constitution Satyagraha Padyatra: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती, दशहरा और धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस, ऐसा स्वर्ण युग नियति का संकेत है। उस संकेत को मानकर हमने यह आह्वान किया था कि आरएसएस, संविधान और गांधी विचारों को स्वीकार करे तथा अपनी संस्था का विसर्जन करे।
लेकिन दशहरे के दिन सरसंघचालक मोहन भागवत ने इस पर एक शब्द भी नहीं कहा। संघ को 100 वर्ष हो गए, लेकिन ‘मुंह में राम, बगल में छुरी’, यह भूमिका आज भी बदली नहीं है।
यह निशाना महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने साधा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल की प्रमुख उपस्थिति में दीक्षाभूमि से शुरू हुई संविधान सत्याग्रह पदयात्रा का गुरुवार को सेवाग्राम में सफल समापन हुआ।
इस अवसर पर पूर्व न्यायमूर्ति बी. जी. कोलसे पाटील, शहीद भगत सिंह के भतीजे प्रो. जगमोहन, पूर्व मंत्री सुनील केदार, रणजीत कांबले, राजेंद्र मुलक, अनिस अहमद, सांसद डॉ. कल्याण काले, सांसद गोवाल पाडवी, वरिष्ठ प्रवक्ता अतुल लोंढे आदि शामिल हुए।
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इससे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी के नेतृत्व में दीक्षाभूमि से सेवाग्राम तक संविधान सत्याग्रह पदयात्रा का आरंभ हुआ। इस अवसर पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने एक बार फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि संघ के भी रावण की तरह 10 सिर हैं।
कांग्रेन नेता हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि विजयादशमी के दिन रावण के रूप में किसी व्यक्ति का दहन नहीं किया जाता बल्कि बुरी प्रवृत्ति का दहन किया जाता है। आज संघ के माध्यम से समाज व संविधान विरोधी प्रवृत्ति फैलाई जा रही है। उसके भी 10 सिर हैं और सबकी दिशाएं अलग-अलग हैं। दशहरा के दिन संघ की उस प्रवृत्ति का दहन होना चाहिए।