CM फडणवीस, छगन भुजबल
Mumbai News: मराठा आरक्षण के मुद्दे को लेकर सरकार से नाराज चल रहे छगन भुजबल ने कहा है कि अब यह मामला यहीं पर समाप्त नहीं होने वाला है। आने वाले समय में देश में जाट, पटेल समेत अन्य समुदाय भी आरक्षण की मांग उठाएंगे। कई और राजपत्र भी जारी किए जाएंगे। अब कोई मराठा नहीं रहेगा, सब कुनबी बन जाएंगे। उन्होंने सवाल किया कि क्या इससे ओबीसी कोटा पर असर नहीं पड़ेगा?
गौर करने वाली बात है कि मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जरांगे पाटील और सरकार के बीच हुए समझौते से अजित पवार की पार्टी के वरिष्ठ नेता व कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल नाराज़ हैं। उन्होंने इस फैसले को अदालत में चुनौती देने की बात कही है। इस बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उन्होंने भुजबल से बात की है और वे नाराज नहीं हैं।
शुक्रवार को मीडिया से बातचीत करते हुए भुजबल ने कहा कि राज्य सरकार ने आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे की हैदराबाद गजेटियर को लागू करने की मांग को स्वीकार कर एक नया संकट खड़ा कर दिया है। अब देश के अन्य राज्यों से भी इसी तरह की मांगें उठ सकती हैं। हाल ही में सरकार ने मराठा समुदाय को आरक्षण का लाभ देने के लिए कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने हेतु हैदराबाद गजेटियर लागू करने की जरांगे की मांग मान ली थी। ओबीसी वर्ग के तहत मराठों को आरक्षण दिए जाने का विरोध कर रहे भुजबल ने आरोप लगाया कि नए सरकारी आदेश (जीआर) से ‘पात्र’ शब्द को हटा दिया गया है।
दूसरी तरफ, जरांगे पाटील ने शुक्रवार को भुजबल पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने केवल ‘अपनी छवि बचाने’ के लिए अन्य ओबीसी नेताओं को सामने नहीं आने दिया। उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय 1881 से ही आरक्षण के लिए पात्र रहा है (हैदराबाद गजेटियर का हवाला देते हुए)। हमारे पूर्वज प्रगतिशील सोच वाले थे, इसलिए उन्होंने इस सुविधा का लाभ नहीं लिया। लेकिन आज हमें आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित करने के लिए आरक्षण जरूरी हो गया है।
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जरांगे ने दोहराया कि मराठा समुदाय 1881 से ही आरक्षण का हकदार रहा है, लेकिन इस समुदाय ने कभी इसका दावा नहीं किया क्योंकि यह हमेशा आगे सोचने वाला समाज रहा है। किंतु अब उसे अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए आरक्षण की ज़रूरत महसूस हो रही है। उन्होंने कहा कि आज कई लोग अचानक ‘विशेषज्ञ’ बनकर जीआर की आलोचना कर रहे हैं। हालांकि वे हमारे समाज से ही हैं और मराठों के लिए सहानुभूति रखते हैं। जीआर के ड्राफ्ट में जो भी बातें मुझे अनुचित लगीं, मैंने उन्हें वहीं (मुंबई में) बदलवा दिया।