चिकित्सकों ने कहा - 40 और 50 की उम्र के लोगों में मस्तिष्काघात के मामलों में हो रही वृद्धि
Mumbai News: चिकित्सकों का कहना है कि भारत में, खासकर 40 और 50 की उम्र के लोगों में, मस्तिष्काघात (ब्रेन स्ट्रोक) के मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समय पर समस्या का पता चलने और ‘गोल्डन आवर’ (उचित समय पर) के भीतर चिकित्सा देखभाल से जीवित रहने की दर में काफी सुधार हो सकता है और दीर्घकालिक जटिलताएं कम हो सकती हैं।
शुक्रवार को यहां ‘न्यूरोवास्कॉन 2025′ सम्मेलन को संबोधित करते हुए वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. भावना दियोरा ने कहा कि मस्तिष्काघात के मामले में तत्काल उपचार मिलने पर इस समस्या से निपटा जा सकता है। दियोरा ने कहा, ‘‘गोल्डन आवर के दौरान समय पर चिकित्सा हस्तक्षेप से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है और दीर्घकालिक जटिलताएं कम हो सकती हैं। आघात एक चिकित्सा आपात स्थिति है, और जागरूकता एवं जीवनशैली में अनुशासन से अनगिनत लोगों की जान बचाई जा सकती है।”
उन्होंने कहा कि रक्तचाप नियंत्रित रखना, नमक और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना, नियमित व्यायाम करना, तनाव से निपटना और पर्याप्त नींद जैसे निवारक उपाय जोखिम को कम करने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं।
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न्यूरोसर्जन और न्यूरोवास्कॉन 2025 के सचिव डॉ. बटुक दियोरा ने कहा कि मस्तिष्क एक जटिल अंग है, और आघात के कारण रक्त प्रवाह बाधित होने से हर गुजरते मिनट के साथ अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है। उन्होंने कहा कि कम जागरूकता आघात के इलाज में देरी करती है, लेकिन शुरुआती पहचान एवं निवारक उपायों से जीवित बचने और ठीक होने की दर में सुधार हो सकता है।- एजेंसी इनपुट के साथ