मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (काॅन्सेप्ट फोटो)
मुंबई: महाराष्ट्र में पिछले कुछ महीनों में लाउडस्पीकर को लेकर राज्य में राजनीति गर्म हो गई थी। महायुति सरकार ने लाउडस्पीकरों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे। बंबई उच्च न्यायालय ने धार्मिक स्थलों पर अवैध लाउडस्पीकरों के खिलाफ कार्रवाई मामले में राहत दे दी है। अदालत ने कहा कि सरकार के खिलाफ कोई अवमानना का मामला नहीं बनता।
बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता संतोष पचलाग द्वारा दायर 2018 की याचिका का निपटारा कर दिया। इस याचिका में ध्वनि प्रदूषण नियमों का उल्लंघन करने वाले अवैध लाउडस्पीकरों पर उच्च न्यायालय के अगस्त 2016 के आदेश का पालन नहीं करने के लिए सरकार के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की गई थी।
बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने धार्मिक स्थलों पर अवैध लाउडस्पीकरों के खिलाफ पर्याप्त और गंभीर प्रयास किए हैं, इसलिए कोई अवमानना कार्रवाई शुरू करने की आवश्यकता नहीं है।
अदालत ने महाराष्ट्र की पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला द्वारा पूर्व में प्रस्तुत हलफनामे का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि इस वर्ष अप्रैल तक विभिन्न धार्मिक स्थलों पर 2,812 लाउडस्पीकरों का प्रयोग किया जा रहा था।
इनमें से 343 को हटा दिया गया और 831 लाउडस्पीकरों को लाइसेंस और अनुमति दी गई। 767 संरचनाओं को नोटिस जारी कर उन्हें ‘डेसिबल’ सीमा से अधिक शोर नहीं करने की चेतावनी दी गई और 19 मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई।
बता दें कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य में पूजा स्थलों पर लगे अवैध लाउडस्पीकरों के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाते हुए मार्च में महाराष्ट्र विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान अवैध लाउडस्पीकर के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश सभी संबंधित अधिकारियों को दिया था।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने विधानसभा में पूजा स्थलों पर लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध को लेकर बड़ी घोषणा करते हुए कहा था कि कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद राज्य के कई धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाए गए थे।
सरकारी वकील नेहा भिड़े ने अदालत को बताया कि ऐसे अवैध लाउडस्पीकरों के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई की निगरानी के लिए पुलिस महानिरीक्षक स्तर के एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई है। पीठ ने कहा कि वह इस बात से संतुष्ट है कि उच्च न्यायालय के 2016 के निर्देशों का अनुपालन किया गया है।
जिसका डर था वही हुआ, NDA में पड़ी फूट! बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे चिराग
हाई कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि अधिकारियों ने आदेश का पर्याप्त रूप से पालन किया है। इस न्यायालय के निर्देशों की जानबूझकर अवज्ञा करने का कोई मामला नहीं बनता है क्योंकि अधिकारियों ने आदेश का पालन करने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं। अदालत ने कहा, इसलिए कोई अवमानना का मामला नहीं बनता और अवमानना याचिका निस्तारित की जाती है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)