(प्रतीकात्मक तस्वीर)
मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का आईपीएस अधिकारी बताकर जालसाज ने एक निजी कॉर्पोरेट समूह के 81 वर्षीय सेवानिवृत्त उपाध्यक्ष से 20 लाख रुपए की ठगी की है। पीड़ित द्वारा दर्ज की गई शिकायत के अनुसार, आरोपी ने कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किया गया है। जालसाजों ने पीड़ित पर आरोप लगाया कि पैसे का इस्तेमाल ड्रग्स और सोने की तस्करी के लिए किया गया था और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक गंभीर धोखाधड़ी मामले की जांच की जा रही है।
पीड़ित को डराने के लिए जालसाजों ने इंस्पेक्टर प्रदीप सावंत, मिलिंद भारंबे और नीरज कुमार जैसे मशहूर पुलिस अधिकारियों का नाम बताया था। मुंबई पुलिस की सेंट्रल साइबर सेल ने धोखाधड़ी, प्रतिरूपण और आईटी एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया है।
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पीड़ित ने बताया कि, 19 जुलाई को उसे अंधेरी पुलिस स्टेशन से कांस्टेबल सचिन पाटिल होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति का फोन आया, कॉल करने वाले ने उसे बताया कि उसके आईसीआईसीआई बैंक खाते में 25 लाख रुपए की कुछ अवैध ट्रांजेक्शन हुई हैं।
इसके बाद जब पीड़ित ने कहा कि उसका उस बैंक में कोई खाता नहीं है, तो पाटिल ने उससे कहा कि उसे डिप्टी कमिश्नर प्रदीप सावंत से बात करनी होगी और कॉल को दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर कर दिया जिसने सावंत का रूप धारण किया था। इसी तरह उसने मिलिंद भारंबे का नाम लेकर जालसाज से भी बात कराई थी।
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पीड़ित को डरा धमकाकर कहा कि मामला रफा-दफा करने लिए कुछ पैसे देने होंगे, पीड़ित ने दिए गए बैंक खाते में 20 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए, बाद में उसे एहसास हुआ कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है। इसके बाद पीड़ित ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
मुंबई पुलिस की सेंट्रल साइबर सेल ने धोखाधड़ी, प्रतिरूपण और आईटी एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया है। पुलिस ने कहा कि मामला दर्ज किया गया है, आगे की जांच की जा रही है। जल्द ही आरोपियों को पकड़ा जाएगा।