मुंबई लोकल ट्रेन पर ऑटोमेटिक डोर पर यात्रियों ने उठाए सवाल
मुंबई: सोमवार को मुंब्रा में हुई दुर्घटना के बाद रेलवे बोर्ड ने 3 महत्वपूर्ण फैसले लिए थे, जिनमे से एक- लोकल के दरवाजों में लूवर्स (हवादार पट्टियाँ) लगाना भी शामिल था, ताकि बंद दरवाज़ों के बावजूद हवा का प्रवाह बना रहे। लेकिन इस फैसले को लेकर यात्रियों ने कई सारे सवाल उठाए है।
नवभारत की टीम ने कुछ यात्रियों से जब दरवाजे लगाने की बात कही तो, उनका कहना था कि अधिकारियों को सबसे पहले पीक समय में यात्रा करनी चाहिए, भीड़ देखनी चाहिए और फिर यह फैसला लेना चाहिए कि दरवाजा कैसे लगाया जा सकता है। इस मामले को लेकर मंगलवार को मध्य रेलवे के मुख्यालय में मनसे के नेता बाला नांदगांवकर और बीजेपी के नेता किरीट सोमैया भी अपनी बात रखने पहुंचे थे।
दूसरे यात्री का कहना था कि यदि लूवर्स दरवाजे लगाए भी जाते है, तो भी लोगों को भीड़ की वजह से सांस लेने में परेशानी हो सकती है। साथ ही अगर कोच की छत पर वेंटिलेशन यूनिट्स लगाई जा रही है, तो एसी लोकल ही बना दी जाए, पैसे क्यों बर्बाद कर रही है रेलवे।
वेंटिलेशन को लेकर लिए गए फैसले
2017 में पश्चिम रेलवे ने भी क्लोज डोर की तरकीब अपनाई थी, नॉन-एसी लोकल में दरवाजा लगाने का फैसला लिया गया था। लेकिन वेंटिलेशन उसमे बड़ा रोड़ा बन गया था। इसलिए प्लान स्क्रैप हो गया था। हालांकि अब वेंटिलेशन के मद्देनज़र कुछ फैसले लिए गए है।
सोमवार को मुंबई में चलने वाली नॉन-एसी लोकल ट्रेनों में ऑटोमेटिक डोर क्लोजिंग से जुड़े मामलों पर चर्चा हुई और फिर फैसला लिया गया की नई डिज़ाइन वाली पहली ट्रेन नवंबर 2025 तक तैयार हो जाएगी। आवश्यक परीक्षणों और प्रमाणन के बाद, इसे जनवरी 2026 तक सेवा में लाया जाएगा। यह प्रयास मुंबई उपनगरीय नेटवर्क के लिए बनाए जा रहे 238 एसी ट्रेनों के अतिरिक्त है।
दरवाजा बंद होने से हल होगी समस्या
लोकर ट्रेन में यात्रा करने वाले आरिफ अब्बास सैयद ने बताया कि यदि रेलवे लोकल में दरवाजे लगाने और कोच की छत पर वेंटिलेशन यूनिट्स लगाने जा रही है, तो एसी लोकल ही बना दी जाए, पैसे क्यों बर्बाद कर रही है रेलवे। हम पीक समय में रोज़ यात्रा करते है।
ज्योति चव्हाण ने कहा कि शाम में तो सयान स्टेशन पर उतरने भी नहीं मिलता है। मैं खुद 2 बार गिर चुकी हूं। यदि दरवाजा लगता है, तो काफी अच्छा होगा। लेकिन बाहर तक लटके लोगों के होने से क्या दरवाजा बंद हो पाएगा?
तो वही यात्री आशावरी जाधव ने कहा फिलहाल भीड़ कैसे कम की जाए, इसपर ध्यान देने की जरुरत है। न की दरवाजे लगाने की। क्योंकि भीड़ दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। लोकल के यात्रियों में इजाफा हो रहा हैं। आज काम पर जाना भी लोकल से सुरक्षित नहीं लग रहा है।
मुंबई रेलवे विकास कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सुभाष चंद गुप्ता ने बताया कि दुर्घटना को गंभीरता से नहीं लिया गया है। मुंबईकरों को बेवकूफ बनाया जा रहा है। पहले भी क्लोज डोर का प्लान मुंबई लोकल में असफल साबित हुआ था, जो WR की पहल थी। लेकिन फिर से वही किया जा रहा है।