मुंबई 2005 बाढ़ (pic credit; social media)
Mumbai Floods July 26 2005: 20 जुलाई 2005 का जीक्र करते ही मुंबई का वो मंजर सामने आ जाता है जिसने सभी के रौंगटे खड़े कर दिये थे। 20 साल पहले मुंबई में आफत की बारिश हुई थी। 24 घंटे हुए जबरदस्त बारिश ने पिछले 100 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। 1.25 करोड आबादी वाली मुंबई एक आईलैंड में तब्दिल हो गई थी। भारी बारिश से सारी लोकल ट्रेने थम गई थी। फ्लाईट्स भी कैंसिल हो गई, और बिजली का तो नामो निशान नहीं था।
रोज की तरह आम लोग बसों और लोकल ट्रेनों की भीड़ को चीरते हुए दफ्तर पहुंचे थे। सुबह से हल्की-फुल्की बारिश हो रही थी, लेकिन दोपहर 2 बजे के बाद तेज बारिश शुरू हुई और कुछ ही घंटों में 944 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई। जिस शहर में 150 मिलीमीटर बारिश भी मुश्किल पैदा कर देती है, वहां 944 मिलीमीटर बारिश ने मुंबई को पूरी तरह डूबो दिया। मुंबई पानी में डूब गई थी।
26 जुलाई 2005 को भारी बारिश का कोई अलर्ट मौसम विभाग की ओर से जारी नहीं किया गया था। इसी कारण लोग सतर्क नहीं थे। समय बीएमसी कमिश्नर जॉनी जोसेफ और बीएमसी मेयर दत्ता दलवी की तीखी आलोचना हुई थी। इनकी नाकामी के चलते 26 जुलाई की बारिश और बाढ़ में लाखों लोग शहर में फंसे रह गए थे, और ट्रेनें बंद होने के कारण कई लोगों ने पैदल घर का रास्ता तय किया।
यह भी पढ़ें-महाराष्ट्र में भारी बारिश की चेतावनी, मुंबई शहर के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी
मुंबई में 26 जुलाई 2005 में आई भीषण बाढ़ में मीठी नदी के उफान पर होने के दौरान एक खंभे पर चढ़ी महिला और उसके बच्चे को एवं एक बस से कुछ दिव्यांग व्यक्तियों को बचाने की घटना आज भी मुंबई दमकल विभाग के सेवानिवृत्त प्रमुख प्रभात राहंगडाले के रोंगटे खड़े कर देती है। बीस साल पहले, उस दिन यहां 24 घंटे के अंदर 944 मिलीमीटर बारिश हुई थी। अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से 450 लोगों की मौत हो गयी थी।
राहंगडाले को उस समय का मंजर अच्छे से याद है कि कैसे उनकी टीम ने 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले कुर्ला पश्चिम, बीकेसी और कलिना से, आमतौर पर साहसिक खेलों में इस्तेमाल होने वाले ‘कयाक’ और ‘जेट स्की’ का इस्तेमाल करके 300 लोगों को बचाया था। उन्होंने याद करते हुए कहा, मैंने हजारों बचाव कार्यों में भाग लिया है, लेकिन कुछ घटनाएं मेरी स्मृति में हमेशा के लिए अंकित हो गई हैं।
उस समय, दमकल विभाग और नगर निगम के पास समर्पित बाढ़ बचाव दल नहीं था, जिसकी वजह से राहंगडाले को समुद्र तट पर साहसिक गतिविधियों में विशेषज्ञता रखने वाली एक एजेंसी से कर्मियों को नियुक्त करना पड़ा। वह और अन्य अधिकारी जीप में सवार होकर सायन सर्कल से बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स होते हुए कलानगर पहुंचे। रास्ते में पानी भरा था और जगह-जगह वाहन फंसे हुए थे।
अब पीछे मुड़कर देखने पर, राहंगडाले को एहसास होता है कि उन्होंने कितना बड़ा जोखिम उठाया था। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “उस दिन सिर्फ तीन गाड़ियां ही कलानगर क्रॉसिंग तक पहुंच पाईं। पीछे मुड़कर देखने पर मुझे एहसास होता है कि यह कितना खतरनाक था। खुशकिस्मती से हमारी जीप खराब नहीं हुई। हमने देखा कि दूसरी गाड़ियां लगभग डूब चुकी थीं।
बीकेसी के पूर्वी हिस्से में पहुंचने के बाद, टीम ने बचाव कार्य शुरू करने से पहले एमटीएनएल भवन में एक कमान और नियंत्रण केंद्र स्थापित किया। मीठी नदी के दूसरे किनारे पर एक भयावह दृश्य दिखाई दे रहा था। उन्होंने कहा, “एक डबल-डेकर बस लगभग पूरी तरह से कीचड़ भरे पानी में डूब गई थी, सिर्फ उसकी छत दिखाई दे रही थी।”
बचाव कार्य की तैयारियों के दौरान, राहंगडाले ने मदद की गुहार लगा रही एक महिला की आवाज सुनी। वह किसी तरह बिजली के खंभे पर चढ़ी हुई थी और उसके कंधे पर एक बच्चा था। जब पानी का स्तर उसकी कमर तक पहुंच गया, टीम को एहसास हो गया कि समय कम होता जा रहा है। उन्होंने तुरंत एक कयाक और एक जेट स्की का इस्तेमाल किया और महिला एवं बच्चे को बचा लिया।
राहंगडाले ने कहा, “महिला ने बताया कि वह एलबीएस रोड जंक्शन पर 90 मिनट से फंसी थी। मुझे आज भी हैरानी होती है कि वह एक बच्चे को गोद में लिए हुए, चारों तरफ से बहते पानी के बीच, खंभे पर कैसे चढ़ गई। घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर, बचावकर्मियों ने एक बस देखी जिसमें 20-25 लोग पानी में फंसे हुए थे। उनमें दिव्यांग और छोटी लड़कियां भी शामिल थीं।
उन्होंने कहा, “हमने उन्हें पीछे की आपातकालीन खिड़कियों से बाहर निकाला।” लगभग 300 मीटर की दूरी पर स्थित दो बसों के बीच रस्सी बांधी गई, जिससे फंसे हुए लोगों को कयाक के माध्यम से पहले डबल-डेकर बस की छत पर ले जाया जा सका, तथा अंततः एमटीएनएल भवन में सुरक्षित पहुंचाया गया।
राहंगडाले ने कहा, उस महिला और दिव्यांग व्यक्तियों को बचाकर मुझे अपार संतुष्टि मिली। राहंगडाले से पूछा गया कि बीते दो दशक में क्या बदला है? इसपर उन्होंने कहा कि मुंबई अग्निशमन विभाग अब शहरी बाढ़ से निपटने के लिए नावों, कयाकों और जेट स्की से लैस है। इसके अतिरिक्त, समुद्र तट सुरक्षा दल भी बनाए गए हैं, जिससे ऐसी परिस्थितियों में होने वाली मौतों में उल्लेखनीय कमी आई है।