इन चुनौतियों से जूझ रहा महाराष्ट्र (डिजाइन फोटो)
Maharashtra Day Special: आज यानी 1 मई को महाराष्ट्र दिवस है। 1 मई 1960 को बॉम्बे प्रांत (Bombay Presidency) के विभाजन से इसे महाराष्ट्र राज्य के गठन दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज यानी 1 मई 2025 को महाराष्ट्र को 65 वर्ष पूरे हो गए। गठन के बाद से राज्य ने कई क्षेत्रों में तरक्की की। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है। इतनी तरक्की और तकनीक में आगे बढ़ने के बाद भी महाराष्ट्र के कुछ ऐसा चुनौतियां हैं जिससे अब तक पार नहीं पाया जा सका है।
आज महाराष्ट्र दिवस के अवसर पर हम आपकों उन चुनौतियों के बारे में बताएंगे, जिससे भविष्य में राज्य सरकारों और जिम्मेदारों को काम करना हैं। हम जब भी महाराष्ट्र की बात करते से है तो हमारे दिमाग में सबसे पहली तस्वीर किसान की आती है।
केंद्र सरकार से लेकर देश के सभी राज्यों की सरकारें किसानों की आय में बढाेत्तरी और खेती-किसानी में उन्नत तकनीक की बात करते है। लेकिन महाराष्ट्र का नाम आते ही किसानों की आत्महत्या का मुद्दा सबसे पहले सामने आता है।
किसानों को देश का अन्नदाता कहा जाता है। अगर देश में किसान न हों तो इंसान भूखों मर जाएगा, लेकिन इतनी मेहनत करने वाले देश के अन्नदाताओं को उनकी मेहनत की रकम नसीब नहीं हो पाती है। यही वजह है कि कभी उनको बैंकों से लोन लेना पड़ता है तो कभी साहूकारों से। जब किसान कर्जदाताओं का कर्ज नहीं चुका पाते हैं और परेशान हो जाते हैं तो वे मजबूरी में आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं, जो कि बहुत दुखदाई है।
महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या की दर चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुकी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 56 महीनों में औसतन हर दिन 8 किसान अपनी जान दे रहे हैं। राज्य सरकार के लिए कर्ज में डूबे किसानों की यह स्थिति बड़ी चुनौती बन गई है।
महाराष्ट्र के सूखा प्रवण क्षेत्र में बार-बार सूखा पड़ना एक बड़ी चुनौती है। वर्षा आधारित खेती और पशुधन राज्य की 64% से अधिक आबादी की आय का प्रमुख स्रोत है। महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में हर साल जल संकट गहराया है। यहां के 11 प्रमुख जलाशय है, जिसमें से अधिकतर गर्मी के मौसम में सूख जाते हैं।
मराठवाड़ा क्षेत्र में छत्रपति संभाजीनगर, जालना, बीड, परभणी, हिंगोली, धाराशिव, लातूर और नांदेड़ जिले शामिल हैं। राज्य के लिए मराठवाड़ा के साथ-साथ कई अन्य क्षेत्रों में सूखा और जलसंकट से निपटना आज भी चुनाैती बना हुआ है।
मुंबई, पुणे जैसे शहरों में अत्यधिक जनसंख्या और अव्यवस्थित शहरीकरण के कारण यातायात, आवास और स्वच्छता की समस्याएं बढ़ रही हैं। झुग्गियों में रहने वाले लोगों की संख्या भी बहुत अधिक है। एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती मुंबई के धारावी में है। इस जगह पर शिक्षा का स्तर और साफ-सफाई की स्थिति बेहद खराब है।
धारावी झुग्गी बस्ती (सोर्स: सोशल मीडिया)
सरकार ने इसे संवारने के लिए कदम उठाए हैं। एशिया के सबसे बड़े स्लम एरिया धारावी के रिडेवलपमेंट का काम अडाणी ग्रुप को सौंपा गया है। राज्य के लिए यह भी एक बड़ी चुनौती है।
वैसे से महाराष्ट्र में नक्सलवाद बड़ी समस्या नहीं है। लेकिन फिर इससे एक जिला बुरी तरह प्रभावित है। छत्तीसगढ़ से सटे गड़चिरोली में नक्सलवाद की समस्या आज भी बनी हुई है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे की बात कही है, लेकिन क्या यह संभव हो पाएगा यह देखना होगा।
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नक्सलवाद के कारण गड़चिरोली को पिछड़ा जिला माना जाता है। देश की आर्थिक राजधानी वाले राज्य के किसी जिले में आज भी विकास पहिया आज भी धीमी रफ्तार से घूम रहा है। नक्सलवाद के कारण पूरे जिले के विकास पर असर पड़ा है। इसलिए इससे उभरना राज्य की चुनौतियों में शामिल है।
इसके अलावा बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य प्रणाली की चुनौतियां, शिक्षा की स्थिति, महिला सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन प्रभाव, बाढ़ और सूखा, बजट की कमी, राजनीतिक अस्थिरता जैसे मुद्दे भी राज्य में कायम है। राज्य राजनीतिक अस्थिरता से कई मुद्दों का हल नहीं निकलता है।