स्कूल में बंद पड़े LCD (फोटो नवभारत)
Gondia Digital Schools LCD Damaged: महाराष्ट्र सरकार द्वारा एडवांस्ड एजुकेशन महाराष्ट्र इनिशिएटिव की शुरुआत के साथ हर छात्र को बेहतर शिक्षा देने की प्रक्रिया में और तेजी आई है। जिससे जिला परिषद स्कूलों के प्रति समाज का नजरिया बदल गया। परिणामस्वरूप विद्यालय जनोन्मुख हो गए। आर्थिक तंगी से जूझ रहे स्कूलों के उत्थान के लिए करोड़ों की जनभागीदारी मिली। बीड़ी उद्योग, महुआ फूल संग्रहण, लाख संग्रहण जैसे पारंपरिक कार्यों से जीविकोपार्जन करने वाले अभिभावकों ने स्कूलों के उत्थान में यथासंभव मदद की।
गोंदिया जिले में 4 करोड़ 14 लाख 20 हजार जनभागीदारी से वह सहायता एकत्रित कर गोंदिया जिले के स्कूलों को डिजिटलीकरण किया गया। लेकिन, उन डिजिटल स्कूलों में लगे एलसीडी खराब हो गए हैं।
गोंदिया महाराष्ट्र के पूर्वी सिरे पर एक आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित जिला है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ हिंदी भाषी राज्यों की सीमा से लगा होने, बोली पर हिंदी का प्रभाव, मात्र 5431 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाला यह जिला हर दृष्टि से विविधतापूर्ण है। लेकिन, प्राथमिक शिक्षा के सशक्तिकरण के लिए, बीड़ी उद्योग में काम करने वाले लोग और मजदूर एक साथ आए और जिले का चेहरा बदलने के लिए बहुमूल्य समर्थन दिया।
गोंदिया जिले में ज्ञानरचनावादी स्कूल, डिजिटल स्कूल, रीडिंग हट्स, कलरिंग, हैंडवॉश स्टेशन, दीवारें, पीने का पानी, प्री-प्राइमरी कक्षाएं, एलईडी प्रोजेक्टर, इंटरैक्टिव बोर्ड साउंड सिस्टम, टैबलेट थिएटर आदि के लिए बड़ी मात्रा में सार्वजनिक भागीदारी निधि जुटाई गई।
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शैक्षणिक सत्र 2015-16 में 96 लाख 70 हजार तथा सत्र 2016-17 में 3 करोड़ 17 लाख 50 हजार रुपए ऐसे कुल 4 करोड़ 14 लाख 20 हजार की धनराशि जुटाकर विद्यालयों को उच्च गुणवत्तायुक्त बनाया गया। लेकिन, इन डिजिटल स्कूलों में लगे एलसीडी अब खराब हो चुके हैं। एलसीडी जो बंद अवस्था में है, उसे अब शुरू कराना मुश्किल है। कुछ एलसीडी के तार चूहों ने काट दिए हैं।
बच्चों को स्मार्ट बनाने के लिए शिक्षकों की अपील पर अभिभावकों ने यथासंभव सहयोग किया और स्कूल को डिजिटल बनाने में मदद की। उस जनभागीदारी से स्कूलों का डिजिटलीकरण किया गया। लेकिन, उन डिजिटल स्कूलों में बिजली आपूर्ति बाधित है।