Gadchiroli News:पिछले कई सालों से महिलाओं और बच्चों के साथ हो रहे यौन शोषण को रोकने के लिए राज्य सरकार ने लगभग 4 साल पहले बहुचर्चित ‘शक्ति कानून’ पारित किया था।इस कानून के ज़रिए महिलाओं को सुरक्षा कवच मिलना था।लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक इस कानून को मंज़ूरी नहीं दी है।जिसके चलते महिलाओं पर अत्याचार जारी है।प्यारी बहनें सुरक्षित नहीं हैं, तो ‘शक्ति’ कानून के लिए और कितने दिन इंतज़ार करना पड़ेगा।ऐसा आक्रोश जनता में दिख रहा है।
चार साल पहले विधानसभा में शक्ति कानून पारित हुआ था, जिसमें महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ तुरंत और कड़ी सजा का प्रावधान है।सत्ता पक्ष द्वारा शक्ति विधेयक विधानसभा में पेश किए जाने के बाद विपक्ष ने भी इसका समर्थन किया था।इसके बाद दोनों सदनों से मंजूरी मिलने के बाद उक्त विधेयक को राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया था।इसके बाद उम्मीद थी कि राज्य में शक्ति कानून लागू हो जाएगा।लेकिन पिछले चार सालों से शक्ति विधेयक केंद्र में लंबित है।
लाडली प्यारी बहनों की सुरक्षा अब राम भरोसे
शक्ति विधेयक में महिलाओं के साथ बलात्कार, यौन उत्पीड़न, एसिड अटैक जैसे अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।राज्य में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए बनाए गए शक्ति अधिनियम में सुधार के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया गया था।इस समिति द्वारा अध्ययन विशेषज्ञों की राय लेकर उचित सुधार किए गए थे।इसमें विशेष रूप से महिलाओं और तृतीय पक्षों को भी पुरुषों के दायरे में लाया गया था।लेकिन पिछले 3 वर्षों से उक्त कानून केंद्रीय स्तर पर अटका हुआ है।जिसके कारण राज्य की लाडली बहनों की सुरक्षा अब राम भरोसे भी है।
शक्ति कानून कब लागू होगा?
महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए तैयार किए गए कानून की तर्ज पर शक्ति कानून तैयार करने के लिए तत्कालीन सरकार ने राज्य की मंजूरी के बाद इसे केंद्र के पास भेजा था।लेकिन तीन साल बीत जाने के बावजूद केंद्र से मंजूरी न मिलने के कारण यह कानून अधर में लटका हुआ है।इसी के मद्देनजर कुछ दिन पहले पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने पूछा था कि बदलापुर जैसी घटनाओं से निपटने के लिए शक्ति कानून कब लागू होगा।
दुर्व्यवहार में वृद्धि
सरकार शक्ति कानून लागू करे, इसलिए केंद्र को इस मुद्दे को उठाने का समय नहीं मिल रहा है, इस पर चर्चा हो रही है कि क्या यह महिलाओं के साथ अन्याय है।राज्य में महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है।ऐसे में सरकार और कितनी घटनाओं का इंतज़ार कर रही है, यह सवाल उठता है।
सामाजिक कार्यकर्ता संतोष टाटीकोंडावार ने कहा कि चार साल पहले तत्कालीन राज्य सरकार ने शक्ति कानून को मंजूरी देकर केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजा था।इसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली है।राज्य भर में महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं।अगर शक्ति कानून होती, तो अत्याचार रोकना आसान होता।लेकिन सरकार इस दिशा में कोई प्रयास करती नहीं दिख रही है।सरकार बहनों की सुरक्षा कैसे करेगी?ऐसा सवाल उठ रहा है।