रमेश बारसागडे को सौंपी भाजपा जिलाध्यक्ष की कमान (सौजन्यः सोशल मीडिया)
गड़चिरोली: भाजपा ने संगठनात्मक पुनर्गठन के तहत 13 मई को राज्य भर में जिलाध्यक्षों के पदों पर फेरबदल किया था, लेकिन 22 जिलों के फैसले रोक दिए गए थे। इन्हीं में से एक था गड़चिरोली। अब 31 मई को पार्टी के प्रदेश कार्यालय ने शेष जिलाध्यक्षों की सूची जारी की, जिसमें प्रा. रमेश बारसागडे को गड़चिरोली भाजपा जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। आगामी स्थानीय स्वराज्य संस्था चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने एक बार फिर ‘ओबीसी कार्ड’ खेला है।
हालांकि, इस बार चेहरा बदला गया है। प्रशांत वाघरे की जगह अब रमेश बारसागडे को जिलाध्यक्ष बनाया गया है। भाजपा के नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर लंबे समय से चर्चा थी। अंततः यह इंतजार 31 मई को समाप्त हुआ, जब प्रदेश चुनाव अधिकारी विधायक चैनसुख संचेती ने 22 जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा की। चूंकि गड़चिरोली जिले की लोकसभा और तीनों विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं, इसलिए संगठनात्मक स्तर पर ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व देना पार्टी की रणनीति रही है।
कांग्रेस ने जिले में अपने जिलाध्यक्ष पद पर कुणबी समाज से आने वाले महेंद्र ब्राम्हणवाडे को नियुक्त किया था। इसके जवाब में भाजपा ने भी 20 जुलाई 2023 को प्रशांत वाघरे को जिलाध्यक्ष बनाकर कुणबी कार्ड खेला था। हालांकि, वाघरे का 2 साल का कार्यकाल शेष था, इसके बावजूद अब बदलाव करते हुए भाजपा ने तेली समाज से आने वाले प्रा. रमेश बारसागडे को यह जिम्मेदारी सौंपी है।
मुख्यमंत्री एवं पालकमंत्री देवेंद्र फडणवीस, प्रदेशाध्यक्ष व राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, विधायक डॉ. मिलिंद नरोटे, पूर्व सांसद अशोक नेते, पूर्व विधायक डॉ. देवराव होळी, कृष्णा गजबे, पूर्व राज्य मंत्री अंबरीशराव आत्राम, वरिष्ठ सहकार नेता अरविंद पोरेड्डीवार और महिला जिलाध्यक्ष गीता हिंगे आदि नेताओं ने बारसागडे का अभिनंदन किया।
रमेश बारसागडे, गड़चिरोली जिले के चामोर्शी स्थित शिवाजी महाविद्यालय में प्राध्यापक हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से की थी। बाद में वे भाजपा में शामिल हुए। वर्ष 2017 में उन्होंने कुनघाड़ा जिला परिषद गट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर कृषि सभापति पद हासिल किया। वे पार्टी में एक शांत, संयमी और संगठनप्रिय नेता के रूप में पहचाने जाते हैं।
भाजपा में गुटबाजी की स्थिति लंबे समय से बनी हुई है। ऐसे में जिलाध्यक्ष के रूप में प्रा. रमेश बारसागडे को संगठन को एकजुट करते हुए मजबूती प्रदान करनी होगी। आगामी स्थानीय स्वराज्य संस्था चुनावों की पृष्ठभूमि में उन्हें मिली यह जिम्मेदारी उनके नेतृत्व कौशल की अग्निपरीक्षा साबित होगी।