धान की फसल (साेर्स: सोशल मीडिया)
Measures To Protect Paddy Crop From Diseases: धान फसल फुलोरा व उपज लगने के अवस्था में है। भारी प्रजाति का धान गर्भावस्था में है। ऐसे में धान फसलों में करपा, कडा करपा, पर्णकोष करपा आदि रोग तथा खेडकिडा, तुडतुडा इन कीटों का प्रकोप दिखाई दे रहा है।
कीट व रोग का प्रकोप बढ़ने पर धान फसलों का बड़े पैमाने पर नुकसान होने की संभावना है। कृषि विभाग ने किसानों से अपील की कि कीट व रोग नियंत्रण के लिए समय पर उपाययोजना करना करें। लगातार बारिश के कारण धान फसलों पर विभिन्न बीमारियों का प्रकोप बढ़ा है।
फसलों पर विभिन्न बीमारियों का प्रकोप देख किसान चिंतिज है। अधिक कालावधि की धान फसल अब गर्भवस्था में है। किसानों ने धान की रोपाई करने के लिए अब तक व्यापक खर्च किया है। कुछ दिनों में धान अंकुरित होने वाली है। ऐसे स्थिति में विभिन्न बीमारियों का प्रकोप धान फस्लों पर हुआ है।
खोड़कीड़ा नियंत्रण के लिए क्लोरोपायरीफास 50 प्रतिशत इसी, 15 किमी या ल्यूबेडामाईंड 20 डब्लू जी 2.5 ग्रम 10 लीटर पानी में मिलाकर छडकांव करे, तुडतुडा का प्रकोप दिखाई देने पर बांध का पानी सुविधा के अनुसार 3 से 4 दिनों के लिए बाहर निकाले, रासायनिक दवा का उपयोग करना है तो बुप्रोफेझिन 25 प्रतिशत प्रवाही 16 मिली या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 2 मिली या फलोनिकामिड 50 प्रतिशत, ग्रैम या फिप्रोनिल या बायोमिथेक्झाम इसमें से कोई एक कीटनाशक का छिड़काव करें।
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करपा यह बुरशीजन्य रोग है इस रोग का प्रकोप होने पर टेबुकोनाझोल 25. 9 प्रतिशत इसी 15 मिली या पिकोझिट्रॉबिन 22.52 प्रतिशत, एससी 10 मिली इसमें से एक बुरशीनाशक का छिड़काव करे। कडाकरपा का प्रकोप दिखाई देने पर कापर हायड्राक्साइड 53.6 प्रतिशत, डीएफ 30 ग्रम तथ्ज्ञा स्टेप्टोसायक्नील 0.5 ग्रम प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर छिडकांव करे।
गड़चिराेली जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी प्रीति हिरलकर ने कहा कि तुडतुडा व खोडक्रिडा के प्रकोप से फस्लों का व्यापक मात्रा में नुकसान होता है। इन बीमारियों का प्रकोप धान फसलों पर दिखाई देने पर किसान समय पर छिड़काव करें।