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गड़चिरोली. किसानों को विभिन्न संकटों का सामना करना पड़ रहा है. अनेक बार निसर्ग के चलते किसानों के मुंह का निवाला छिन जाने से किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में अब धान खरीदी जिले के कुछ संस्था किसानों की वित्तीय लुट करते हुए दिखाई दे रहे है. विशेषत: इन संस्थाओं द्वारा सरकारी नियमों को ताक पर रख धान खरीदी कर किसानों को लुटा जा रहा है. इस मामले से किसान कंगाल तो संस्थाचालक मालामाल होने का मामला जिले के अनेक धान खरीदी केंद्रों पर दिखाई दे रहा है.
जिला पणन अधिकारी कार्यालय अंतर्गत जिले के विविध कार्यकारी सहकारी संस्था द्वारा धान खरीदी केंद्र शुरू किए गए है. लेकिन कुछ धान खरीदी केंद्रों पर सरकारी नियम ताक पर रखा जा रहा है. अनेक धान खरीदी केंद्रों पर लोकल काटे से किसानों का धान खरीदा जा रहा है. केंद्र चालक गिले के नाम पर 40 किलो धान के पिछे ढाई से तीन किलो अधिक धान किसानों से ले रहे है. इस मामले से किसानों की लुट हो रही है. धान खरीदी केंद्र पर किसी भी तरह की धांधली न हो, इसके लिये जिले में दक्षता पथक का गठण किया गया है. लेकिन यह पथक नामशेष होने की बात कही जा रही है. वहीं दुसरी ओर जनप्रतिनिधि भी इस मामले की ओर नजरअंदाज करने से किसानों की वित्तीय लुट हो रही है.
अनेक धान खरीदी केंद्र पर साधे वजनकाटे पर धान नापा जाता है. इलेक्ट्रानिक वजनकाटे होने के बावजूद साधे काटे पर धान नापना यह अनुसंधान का विषय बना है. इलेक्ट्रानिक्स वजन काटे में भी सेटिंग करने का आरोप किसानों द्वारा किया जा रहा है. धान का कट्टा 40 किलो का होता है, वह गिनने के लिए तोलारी 41 से 42 किलो वजन लेते है. एक काटे के मुआवजे में एक कट्टा व एक किलो का वजन रखते है. साथ ही बोरा जमिन तक झुकेगा इतना नापा जाता है. 40 किलो के बोरे पर एक किलो पासंग गृहीत माना जाता है. वहीं एक क्विंटल पर 3 से 4 किलो अधिक नापा जाता है.
सरकारी धान खरीदी केंद्र पर लाखों रूपयों के कमाई की उलाढाल इस व्यवसाय से की जाती है. जो कर्मचारी अनियमितता करते है, वे बदनाम होते है. किंतु यह कमाई संस्थाचालकों के पास जाने की बात कहीं जा रही है. संस्था नमी के तोर पर किसानों से अधिक का वजन लेते हुए और नमी की तुट के रूप में सरकार की ओर भी मांग करते है. जिससे संस्था चालकों के दोनों हाथ घी में होने का दिखाई देता है.