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ठाणे: सर्दियों में हजारों किलोमीटर की यात्रा कर ठाणे (Thane) की खाड़ी में आने वाले परदेशी पक्षियों की मूवमेंट (Movement of Foreign Birds) पर नजर रखा जाएगा। जिसके तहत अब इन पक्षियों को रेडियो टैगिंग (Radio Tagging) से जोड़ने का निर्णय लिया गया है। रेडियो टैंगिंग की मदद से यह पता चल सकेगा कि पक्षी कहां से आते हैं? और कितनी दूर से आते हैं? इन सभी की मदद से पक्षियों का शोध किया जाएगा। इस योजना के तहत कुल 200 पक्षियों को रेडियो टैगिंग से जोड़ा जाएगा।
सर्दियों के मौसम में विदेशी पक्षी बड़ी तादाद में ठाणे शहर के खाड़ी इलाकों में अपना बसेरा बनाते हैं। इन परदेशी पक्षियों की जानकारी इकठ्ठा करने और पक्षियों के बारे में शोध करने के लिए कांदलवन प्रतिष्ठान और बॉम्बे नैचरल हिस्ट्री सोसायटी के बीच करार कर पक्षियों पर रेडियो टैगिंग करने का करार किया जाएगा।
संस्था का कहना है कि इस रेडियो टैंगिंग के लिए कुल 5 करोड़ 29 लाख रुपए का खर्च किया जाएगा। इस योजना के तहत कुल 200 परदेशी पक्षियों पर रेडियो टैंगिंग लगाई जाएगी। बीएनएचएस के संचालक डॉ. बिवाश पांडव ने बताया कि इस तकनीक से पक्षियों की गतिविधियों को जानकर उन्हें बेहतर स्थान उपलब्ध कराया जा सकता है। वहीं पक्षी जिस स्थान पर हैं उस भूमि की जानकारी भी इकठ्ठा करना आसाना होता है। शोध के रूप में यह महत्त्वपूर्ण निर्णय है।
रेडियो टैगिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें जीपीएस और अन्य प्रकार के उपकरण लगाए हुए होते हैं। पक्षियों पर रेडियो टैगिंग करने से पक्षी कहां है? और कहां से कहां जा रहे हैं? वहीं पक्षी कौन से स्थान पर रुके हैं? क्या उक्त स्थान पक्षी के स्वास्थ्य के लिए सही है? इन सभी प्रकार की जानकारी रेडियो टैगिंग की मदद से इकठ्ठा करना आसान होता है।






