छगन भुजबल, धनंजय मुंडे (pic credit; social media)
Maharashtra Politics: बीड जिले के मस्साजोग गांव के सरपंच संतोष देशमुख की नृशंस हत्या मामले में वाल्मीकि कराड की गिरफ्तारी की कीमत उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की राकां के नेता धनंजय मुंडे को अपना मंत्री पद गवां कर चुकानी पड़ी है। लेकिन धनंजय मुंडे ने फिर से मंत्री बनने की आस अभी भी छोड़ी नहीं है।
शायद इसी वजह से उन्होंने मंत्री रहने के दौरान आवंटित बंगला ‘सतपुड़ा’ अभी तक खाली नहीं किया है। नतीजतन मुंडे की जगह मंत्री बनाए गए राकां (अजीत पवार) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल फंस गए हैं।
संतोष देशमुख हत्या कांड मामला तूल पकड़ने की वजह से महाराष्ट्र विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान धनंजय मुंडे 4 मार्च 2025 को मंत्री पद छोड़ने को मजबूर हुए थे। इसे लगभग पांच महीने हो गए हैं, लेकिन मंत्री पद छोड़ने के बाद भी मुंडे ने अभी तक अपना सरकारी बंगला खाली नहीं किया है। जबकि मंत्रियों के लिए मंत्री पद से हटने के 15 दिन के भीतर सरकारी बंगला खाली करना अनिवार्य होता है। दूसरी तरफ मुंडे की जगह मंत्री बनाए गए भुजबल को 23 मई को सतपुड़ा बंगला आवंटित कर दिया गया है। लेकिन भुजबल, ‘सतपुड़ा’ में गृह प्रवेश नहीं कर पा रहे हैं।
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बताया जा रहा है कि धनंजय मुंडे ने मंत्री पद छोड़ते समय स्वास्थ्य खराब होने का हवाला दिया था। मुंडे की ओर से बंगला खाली करने में देरी की वजह भी खराब स्वास्थ्य ही बताई जा रही है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि उन्होंने अपनी बेटी की शिक्षा तथा मुंबई में अपनी चिकित्सा के लिए इस बंगले में कुछ दिन और रहने की अनुमति मांगी थी। जिस पर कोई जवाब उन्हें अभी तक नहीं मिला है। उन्हें विश्वास है कि उन्हें अभी कुछ और दिन बंगले में रहने की अनुमति मिल जाएगी।
संतोष देशमुख हत्याकांड के बाद धनंजय मुंडे के खिलाफ मोर्चा खोलनेवाली सामाजिक कार्यकर्ता अंजली दमानिया ने सतपुड़ा खाली नहीं करने पर मुंडे के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। बताया जा रहा है कि बंगला खाली न करने पर मुंडे पर 42 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
अंजली ने कहा है कि बेटी के स्कूल और अपनी बीमारी के कारण मुंबई में रहने की मजबूरी का बहाना बनाकर मुंडे पांच महीने से सरकारी बंगले में जमे हुए हैं। जबकि कोई और स्वाभिमानी व्यक्ति होता तो दो बेडरूम का घर खरीद लेता या किराए पर ले लेता। सरकारी बंगला खाली न करना गलत है। अब उन पर 42.46 लाख का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना माफ नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उनसे एक-एक पैसा वसूला जाना चाहिए।