जयंत पाटिल और देवेंद्र फडणवीस (फोटो: ANI)
मुंबई. छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर महाराष्ट्र में जमकर राजनीति हो रही है। राकांपा (एसपी) नेता जयंत पाटिल ने शिवाजी महाराज को लुटेरा करार दिया तो वहीं, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरि महाराज ने दावा किया कि शिवाजी महाराज ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरह जबरन वसूली की थी। इसी बीच उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को कहा कि शिवाजी महाराज को “लुटेरा” कहना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
फडणवीस ने यह बात राकांपा (एसपी) नेता जयंत पाटिल के उस दावे के एक दिन बाद कही, जिसमें कहा गया था कि मराठा शासक ने “स्वराज्य” के विस्तार के लिए सूरत से “जबरन वसूली” करने की कोशिश की थी।
फडणवीस ने भारतीय विद्वानों से एकजुट होकर मराठा साम्राज्य के संस्थापक के बारे में ब्रिटिश इतिहासकारों द्वारा किये गए “असत्य चित्रण” को गलत साबित करने की अपील की। भाजपा नेता ने कहा कि शिवाजी महाराज को ब्रिटिश इतिहासकारों के नजरिये से देखा जा रहा है। उन्होंने विद्वानों से उन गलतियों को सुधारने का आह्वान किया, जिनमें 17वीं सदी के शासक को गलत तरीके से चित्रित किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें: शिवाजी महाराज ने सूरत को नहीं लूटा था, फडणवीस ने बताया इतिहास, पवार-उद्धव को भी घेरा
फडणवीस ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा, “मैं बस यह कहना चाहता हूं कि मेरा राजा कभी लुटेरा नहीं था। मैं किसी के भी द्वारा मेरे राजा को लुटेरा कहे जाने को बर्दाश्त नहीं करूंगा। महाराज कभी लुटेरे नहीं थे। उन्होंने कभी किसी आम आदमी को परेशान नहीं किया।”
विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) पर निशाना साधते हुए फडणवीस ने कहा कि जिन (नेताओं) की सरकार को जबरन वसूली करने वाली सरकार कहा जाता है, वे केवल जबरन वसूली के बारे में ही सोचेंगे। हालांकि, फडणवीस ने स्वामी गोविंददेव गिरि महाराज के बयान को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
यह भी पढ़ें: शिवाजी महाराज ने ED की तरह की थी जबरन वसूली, स्वामी गोविंददेव गिरी का विवादित बयान
पाटिल ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि छत्रपति शिवाजी ने सूरत को सूचना भेजकर उससे एक निश्चित रकम देने के लिए कहा था।” उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज को उनके द्वारा मांगी गई रकम नहीं मिली थी, बल्कि मुगलों ने मराठा शासक पर हमला करने के लिए एक दूत भेजा। बाद में उस दूत की हत्या कर दी गई। पाटिल ने दावा किया था कि इस घटना के कारण शिवाजी महाराज ने सूरत को लूटा था। (एजेंसी इनपुट के साथ)