एकनाथ शिंदे व देवेंद्र फडणवीस (डिजाइन फोटो)
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सत्ताधारी गठबंधन में दरार बढ़ती जा रही है। खासकर भाजपा और शिवसेना के बीच टकराव है, जो एक ही हिंदुत्व विचारधारा को मानने का दावा करती हैं। दोनों पक्ष एक-दूसरे से नेताओं को तोड़कर अपनी-अपनी पार्टियों में शामिल कर रहे हैं।
बता दें कि बीजेपी और शिवसेना शिंदे गुट में कई मुद्दों पर मतभेद हैं। हाल ही में यह मामला अमित शाह के ध्यान में लाया गया था, लेकिन अभी तक कोई आम सहमति नहीं बन पाई है। इस बीच देवेंद्र फडणवीस ने पहली बार खुलकर हमला किया है। वह आमतौर पर विवादित मुद्दों पर कमेंट करने से बचते हैं, लेकिन बुधवार को उन्होंने एकनाथ शिंदे के लंका जलाने वाले बयान पर जवाब दिया।
सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “लंका तो हम जलाएंगे क्योंकि हम भगवान श्री राम में विश्वास करते हैं।” बुधवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ शिंदे के भाजपा की तुलना रावण से करने वाले बयान पर जवाब देते हुए कहा, “जो लोग हमारे बारे में कुछ भी कहते हैं, उन्हें नजरअंदाज करें।”
फडणवीस ने आगे कहा, “वे कह सकते हैं कि वे हमारी लंका जला देंगे, लेकिन हम लंका में नहीं रहते। हम भगवान राम को मानने वाले हैं, रावण को नहीं।” चुनाव के समय ऐसी बातें कही जाती हैं, इन्हें दिल पर मत लेना।’ उन्होंने आगे कहा कि हम वो लोग हैं जो जय श्री राम का नारा लगाते हैं।
फडणवीस ने कहा कि कल ही हमने राम मंदिर पर धर्म ध्वजा फहराई है। हम उस पार्टी से हैं जो भगवान राम की पूजा करती है। इसलिए लंका हम जलाएंगे। देवेंद्र फडणवीस ने ये बातें पालघर जिले में नगर पंचायत और नगर निगम चुनाव के लिए एक कैंपेन रैली के दौरान कहीं।
उसी जिले में चुनाव प्रचार करते हुए एकनाथ शिंदे ने भाजपा का नाम लिए बिना रावण का जिक्र किया था, जिसका सीधा संबंध भगवा पार्टी से था। शिंदे ने कहा था कि रावण भी घमंडी था और उसकी लंका भी जली थी। आपको भी 2 दिसंबर को ऐसा ही करना है।
एकनाथ शिंदे के बयान और उस पर देवेन्द्र फडणवीस का पलटवार यह तस्दीक करता है कि महाराष्ट्र की सियासत में महायुति के बीच ही ‘असली हिंदुत्व’ पर रार छिड़ चुकी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इसकी परिणति क्या होती है।
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गौरतलब है कि भाजपा ने शिवसेना के कुछ पार्षदों को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है। इससे शिवसेना के अंदर भी गुस्सा है। उसे लगता है कि ज़मीनी स्तर पर उसका संगठन कमज़ोर होने से भविष्य में दिक्कतें आएंगी। हाल ही में इसी के विरोध में शिवसेना के मंत्री देवेंद्र फडणवीस की कैबिनेट मीटिंग में शामिल नहीं हुए थे।
इसके बाद एकनाथ शिंदे दिल्ली पहुंचे और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। कहा गया कि उन्हें भरोसा मिला है कि अगर शिवसेना ने भाजपा नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल नहीं किया, तो भाजपा भी ऐसा नहीं करेगी।