ओबीसी ने निकाला मोर्चा (सौजन्य-नवभारत)
Chandrapur News: चंद्रपुर जिले के पोंभूर्णा में मराठा आरक्षण उप-समिति की अनुशंसा पर, हैदराबाद गैजेट के नाम पर ओबीसी समाज को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए गोत्र एवं वंश के नाम का उपयोग कर मराठा जाती को ओबीसी में शामिल करने का जीआर रद्द किए जाने की मांग को लेकर अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद तहसील अध्यक्ष भुजंग ढोले के नेतृत्व में एवं जिलाध्यक्ष विजय लोनबले की उपस्थिति में पोंभूर्णा तहसील कार्यालय पर मोर्चा निकाला गया।
इस दौरान तहसील कार्यालय के सामने शासकीय जीआर की होली जलाई गई। तत्पश्चात तहसीलदार को ज्ञापन सौपा गया। हैदराबाद गैजेट की आड़ में मराठा समुदाय को ओबीसी के रूप में आरक्षण देने का सरकार का फैसला ओबीसी को गुमराह कर रहा है। यह आरोप लगाते हुए ओबीसी समुदाय ने कथित फैसला वापस लेने की मांग की हे।
आंदोलनकारियों के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा समुदाय के कुछ तथाकथित नेताओं को खुश करने और केवल वोट बैंक के लिए मराठा समुदाय को ओबीसी के रूप में आरक्षण देने का निर्णय लिया गया है। मराठा समाज ने ओबीसी से आरक्षण देने हेतु विभिन्न आंदोलन शुरू किए इसलिए सरकार ने निर्णय देना शुरू कर दिया है। सरकार भीड़ आंदोलनों पर नहीं बल्कि संविधान, कानूनों और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर चलनी चाहिए।
मराठा कुणबी नहीं हैं, इसलिए वे ओबीसी नहीं हैं। इससे पहले उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ऐसे कई फैसले दिए गए हैं। 5 मई 2021 के फैसले में मराठा पिछडे नहीं होने के कारण महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें दिए गए 16 प्रतिशत आरक्षण को भी रद्द कर दिया था। इसलिए, पहले दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार किया जाना चाहिए।
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यह मांग की गई कि मराठा जाति को ओबीसी में शामिल करने के फैसले को अवैध करार देते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई। आंदोलनकारियों में विजय लोनबले, भुजंग ढोले, सद्गुरु ढोले, जगन कोहले, प्रदीप दिवसे, राहुल सोमणकर, संदीप बुरांडे, प्रमोद गुरनुले, कालिदास मोहुर्ले, भरत गुरनुले, आदित्य कवले, वैभव ढोले उपस्थित थे।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, राज्य में स्थापित सरकारी जाति सत्यापन समिति के अधिकार का अतिक्रमण किया गया है और अब गांवों में कुणबी प्रमाण पत्र गांव की जाति सत्यापन समिति की सिफारिश पर दिया जाएगा। यह संविधान के विरुद्ध है और इसलिए यदि किसी लड़की का कोई रिश्तेदार किसी अन्य उच्च जाति में विवाहित है, तो उसे भी कुणबी ओबीसी प्रमाण पत्र मिलना शुरू हो जाएगा। यदि हम सामाजिक न्याय विभाग द्वारा लिए गए सरकारी निर्णय को आधार मानें, तो उच्च जातियां एससी, एसटी समुदायों के आरक्षण में घुसपैठ करने के लिए स्वतंत्र हो जाएंगी। आंदोलनकारियों ने यह तर्क दिया है।