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भंडारा पैटर्न से चिमूर में होगी धान की खेती, किसानों को अतिरिक्त आय के साथ आत्महत्या का प्रमाण होगा कम

  • By navabharat
Updated On: Feb 07, 2022 | 10:18 PM
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चंद्रपुर. जिले में खरीफ और रबी ऐसे दो सीजन में किसान खेतों में फसलों की पैदावार करते है. खरीफ में प्रमुख रुप से धान की पैदावार जिले के अधिकांश तहसीलों में की जाती है. इसकी वजह से जिले को धान का कटोरा संबोधित किया जाता है. किंतु चिमूर तहसील के 25 प्र.श. किसानों ने इस वर्ष खरीफ और रबी दो सीजन के अलावा ग्रीष्मकालीन धान की पैदावार की तैयारी की है. जिसे भंडारा पैटर्न का नाम दिया है.

रबी की फसलों की कटाई के बाद अब खेत खाली हो गए है. इसलिए अब किसान ग्रीष्मकाल के दिनों में कौनसी फसल ले है इसका विचार कर रहे थे. इसका हल निकालते हुए अब चिमूर तहसील में यह नया प्रयोग किया जा रहा है. जिससे किसानों के फसल की पैदावार बढने के साथ ही किसान आत्महत्या का प्रमाण कम होने की पूरी संभावना है.

विदर्भ में सर्वाधिक धान की पैदवार भंडारा जिले में होती है. भंडारा में वर्ष में दो से तीन बार धान की पैदवार की जाती है. इसी तर्ज पर अब चिमूर तहसील में दुबारा धान की पैदावार की जा रही है. पहले अनेक किसानों के पास सिंचाई की सुविधा न होने से खरीफ की फसल के बाद कोई फसल नहीं लेते थे. किंतु अब शासन की ओर से कृषि तालाब, कृषिपंप, कुंआ बनाकर दिए जाने से चिमूर तहसील के किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होने से तहसील के किसान अब ग्रीष्मकाल के दिनों में धान की पैदावार के लिए प्रयासरत है.

इस प्रकार वर्ष में तीसरी बार किसानों के फसल लेने से उनकी आय में वृध्दि होगी. क्योंकि खरीफ के सीजन में अतिवृष्टि ने किसानों का भारी नुकसान किया था. जिस समय पर फसल पककर काटने को तैयार थी. उसी समय पर अतिवृष्टि से किसानों काभारी नुकसान हुआ. इसके अलावा रबी के समय पर बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि की वजह किसानों के हाथ आई फसल का नुकसान हुआ है. किंतु अब इस वर्ष किसानों ने ग्रीष्मकालीन धान की तैयारी शुरु कर दी है. जिससे किसानों को यह नुकसान भरपाई होने की पूरी संभावना है और किसान भंडारा पैटर्न से वर्ष में दो बार धान की पैदावार कर सकेंगे.

Bhandara pattern will lead to paddy cultivation in chimur farmers will have less evidence of suicide with additional income

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Published On: Feb 07, 2022 | 09:44 PM

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