बाघ के हमले से घायल गाय (सोर्स: सोशल मीडिया)
Tiger Attacks Cows In Bhandara: भंडारा जिले के जंगलों में बाघों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। बुधवार दोपहर एक बार फिर बाघ ने दो गायों पर हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया। हमले के दौरान पशुपालक भी चपेट में आने से बाल-बाल बच गया। यह वारदात वन विकास महामंडल, महाराष्ट्र के सोनेगांव उपक्षेत्र अंतर्गत निलागोंदी बीट के कक्ष क्रमांक 183 में घटित हुई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, निलागोंदी निवासी सुदाम हिरामण हटवार अपनी गायों को जंगल में चराने के लिए गए थे। दोपहर करीब 3 बजे एक बाघ ने अचानक हमला कर दिया। उसने दो गायों को बुरी तरह घायल कर दिया। जब सुदाम हटवार ने उन्हें बचाने की कोशिश की, तो बाघ ने उन पर भी हमला किया, लेकिन सौभाग्यवश वे किसी तरह जान बचाकर भाग निकले।
घायल गायों को मालवाहक वाहन से घर लाया गया है और उनका इलाज पशुधन चिकित्सक द्वारा किया जा रहा है। इस हमले से पशुपालक को आर्थिक रूप से भारी नुकसान हुआ है। घटना की जानकारी मिलते ही बीट रक्षक स्नेहल कपाले और प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी जितेंद्र वंजारी ने मौके पर पहुंचकर पंचनामा किया और जरूरी कार्रवाई शुरू की।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते भी इसी क्षेत्र में बाघ ने एक गाय और एक बछड़े को मार डाला था। लगातार हो रही इन घटनाओं से निलागोंदी और आसपास के गांवों में दहशत का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों ने वन विभाग से मांग की है कि बाघ को तत्काल पकड़ा जाए या फिर क्षेत्र से हटाया जाए, ताकि लोगों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
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पीड़ित सुदाम हटवार एक अल्पभूधारक किसान हैं, जो पशुपालन को सहायक व्यवसाय के रूप में करते हैं। उनके पास कुल 4 गायें, 1 भैंस और 2 बछड़े हैं। वे हर दिन पावती लेकर ही जंगल में चराई के लिए जाते हैं। उनका कहना है कि यदि वन्यजीवों का आतंक इसी तरह जारी रहा, तो किसानों का पशुपालन ठप हो जाएगा।
वन विभाग ने ग्रामीणों से जंगल में अनावश्यक रूप से प्रवेश न करने की अपील की है। साथ ही कहा है कि गांवों के पास अगर रात में वन्यजीव घूमते हैं, तो पशुपालक अपने तबेलों के पास अलाव जलाएं, रोशनी की व्यवस्था करें और रात्रि में विशेष सतर्कता बरतें। विभाग ने यह भी कहा कि बाघ की पहचान कर उसे पकड़ने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। ग्रामीणों की सुरक्षा को देखते हुए वन विभाग पर अब बाघ की धरपकड़ और नियंत्रण के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है।