हड़ताल पर बैठे स्वास्थ्यकर्मी (सोर्स: सोशल मीडिया)
Health Workers on Strike in Bhandara: राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के अंतर्गत कार्यरत कॉन्ट्रैक्ट अधिकारी और कर्मचारियों ने अपनी लंबित समस्याओं का समाधान न होने के कारण मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। बीते तीन दिनों से भंडारा जिले के करीब 600 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हो चुके हैं।
बरसात के मौसम में जब संक्रामक रोग और अन्य बीमारियां तेजी से फैल रही हैं, ऐसे समय में स्वास्थ्य सेवाएँ पूरी तरह ठप हो गई हैं। 14 मार्च 2024 को महाराष्ट्र सरकार ने दस वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके कॉन्ट्रैक्ट अधिकारी व कर्मचारियों को नियमित सेवा में शामिल करने का निर्णय लिया था। लेकिन लंबा समय बीत जाने के बावजूद सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान कॉन्ट्रैक्ट अधिकारी-कर्मचारी एकत्रीकरण समिति और एकता संघ, महाराष्ट्र राज्य के नेतृत्व में राज्यभर के कर्मचारी आंदोलनरत हैं। जुलाई में मुंबई के आजाद मैदान में दो दिनों का आंदोलन किया गया था। उस समय स्वास्थ्य मंत्री ने विभागीय सचिवों के साथ बैठक लेकर शीघ्र निर्णय लेने का आश्वासन दिया था।
आश्वासन मिलने पर 21 जुलाई से प्रस्तावित कामबंद आंदोलन स्थगित कर दिया गया था। लेकिन 15 जुलाई को हुई बैठक के बाद भी कोई कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ। अंततः मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करने का निर्णय लिया गया।
हड़ताल के कारण जिला सामान्य अस्पताल, उपजिला अस्पताल, ग्रामीण अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की सामान्य सेवाएं बंद पड़ी हैं। जिला अस्पताल का एसएनसीयू और डायलिसिस यूनिट पूरी तरह ठप हो चुकी है, जिससे गंभीर मरीजों की सेवा प्रभावित हुई है। टीकाकरण, मातृत्व व बाल स्वास्थ्य, गैर-संचारी रोगों की जांच, दवा वितरण और क्षेत्रीय स्वास्थ्य जांच जैसे सभी कार्यक्रम पूरी तरह बंद हैं। ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों के दरवाजे भी बंद कर दिए गए हैं।
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बरसात में डेंगू, मलेरिया, टायफॉइड जैसे संक्रामक रोग तेजी से फैलते हैं। ऐसे समय पर हड़ताल शुरू होने से मरीजों को आवश्यक इलाज नहीं मिल पा रहा है। गैर-संचारी रोगों की दवाएं भी मरीजों तक नहीं पहुँच रही हैं। गर्भवती महिलाओं की जाँच और बच्चों का टीकाकरण रुक जाने से स्वास्थ्य संबंधी खतरा बढ़ गया है।
आंदोलन में डॉ. सचिन लहाने, डॉ. आशीष माटे, डॉ. सुशीला गजभिये, डॉ. श्रीकांत आंबेकर, डॉ. भास्कर खेडीकर, डॉ. राजेंद्र सोनवाने, जितेंद्र अंबादे, निलेश गिरी, कोमल भाजीपाले, शिवशंकर शेंडे, रवींद्र झोडे, विकास गभने, भूपेंद्र ब्राम्हणकर, रंजिता कोल्हाटकर, मुकेश भेदे, विशाखा जांभुलकर और कामिनी गेडाम सहित लगभग 600 अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने त्वरित निर्णय नहीं लिया तो हड़ताल लंबी चलेगी और इसका गंभीर असर जिले की ग्रामीण व शहरी स्वास्थ्य व्यवस्था पर पड़ेगा।