साकोली में अतिक्रमण हटाते स्थानीय प्रशासन के अधिकारी (सोर्स: सोशल मीडिया)
Anti-Encroachment Drive: भंडारा जिले के साकोली शहर में अतिक्रमण हटाओ अभियान लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा। नगर परिषद द्वारा गडकुंभली रोड, तालाब सौंदर्यीकरण स्थल और तालाब के पास सर्विस रोड पर शुरू की गई कार्रवाई बुधवार को भी जारी रही। इस दौरान अधिकारियों के सामने चौंकाने वाली जानकारी सामने आई कि कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर बने ठेले और दुकानें 80 हजार, 1 लाख से लेकर 4 लाख रुपये तक में बेच डालीं।
सूत्रों के अनुसार, साकोली–सेंदूरवाफा क्षेत्र में कई लोगों ने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर उसे मोटी पगड़ी लेकर किराए पर दिया, जबकि कुछ ने स्टाम्प पेपर पर बाकायदा सौदे कर दुकाने बेच डालीं। एक दुकानदार ने अधिकारियों को बताया कि उसने यह जगह एक व्यक्ति से 80 हजार रुपये देकर खरीदी थी और उसके पास स्टाम्प पेपर भी है। अब उसका 80 हजार डूब गया और दुकान भी उजड़ गई। वहीं बसस्टैंड के पास गेट नं. 1 (पश्चिम दिशा) पर एक ट्रेवल्स कार्यालय धारक ने अपनी कब्जाई जगह 4 लाख रुपये में बेच दी थी।
नगर परिषद ने ऐसे लोगों की सूची बनाना शुरू कर दिया है और दंडात्मक कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। इस पूरे मामले से असली गरीब फुटपाथ दुकानदार प्रभावित हो रहे हैं, जिनका कहना है कि हमने न तो जमीन बेची और न किराए पर दी, फिर भी हमारी रोजी-रोटी पर संकट आ गया है।
स्थानीय निवासी युवा संगठन भी आक्रामक हो गया है। संगठन की मांग है कि जिन्होंने सरकारी जमीन पर कब्जा कर मोटी कमाई की, उनकी सूची सार्वजनिक की जाए और उन पर सख्त कार्रवाई हो। साथ ही शहर के खाली पड़ी सरकारी जमीन और बगीचों पर वैध व्यापारिक संकुल बनाए जाएं और उसमें गोरगरीब स्थानीय बेरोजगारों को दुकानें उपलब्ध कराई जाएं।
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यह अभियान नगर परिषद सीओ मंगेश वासेकर के मार्गदर्शन में चलाया गया। उनके साथ स्वच्छता और जल आपूर्ति अभियंता संतोष दोंतूलवार, प्रशासकीय अधिकारी कल्याणी भवरे, नगर रचनाकार नितीन मेश्राम, निरीक्षक मुकेश शेंदरे और अन्य अधिकारी मौजूद थे। कार्रवाई के दौरान कई अतिक्रमण जेसीबी से हटाए गए और जिन दुकानदारों ने नोटिस के बावजूद हाजिरी नहीं दी, उनकी दुकाने जप्त कर ली गईं। यह कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी और पुलिस की मदद से सभी सरकारी भूखंडों को अतिक्रमण मुक्त किया जाएगा।
दूसरी ओर फुटपाथ दुकानदारों ने स्पष्ट कहा कि दोषी असली जमीन माफिया हैं, लेकिन उनकी वजह से हम पर संकट आया है। हमारी मांग है कि अवैध कब्जाधारियों पर कार्रवाई करें और हमारे लिए शहर में वैकल्पिक दुकानें उपलब्ध कराई जाएं।