प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Bhandara Fire Station News: भंडारा नगर परिषद के माध्यम से अग्निशमन सेवा का संचालन काफी सालों से किया जा रहा है। शहर और निकट के क्षेत्र में आगजनी की घटनाओं की तत्काल दखल लेकर आग पर काबू पाने की हरसंभव कोशिश की जाती है।
दुर्भाग्य यह है कि जो विभाग आगजनी जैसी गंभीर घटनाओं की रोकथाम को लेकर सकारात्मक रुख अपनाता आया है उस विभाग को उसकी सेवा को अपडेट रखने की दिशा में आज तक कोई प्रयास नहीं किए गए।
अब यह बादल छंटने की उम्मीद की जा रही है। भंडारा नगर परिषद के तहत फायर स्टेशन निर्माण के लिए 1 करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति मिल चुकी है इसमें 90 लाख रुपए सरकार खर्च करेगी, जबकि 10 लाख रुपए नगर परिषद को खर्च करने होंगे। इस राशि में अग्निशमन वाहन रखने के लिए आरसीसी शेड़ और कंट्रोल रूम -चेंजिग रूम बनाया जाएगा।
फायर स्टेशन निर्माण के लिए पुराने फिल्टर प्लांट की जगह सुनिश्चित की गई है। फिलहाल भंडारा के अग्निशमन विभाग के पास दो बड़ी और दो छोटी आग बुझाने वाली गाड़ियां उपलब्ध है दो फायर रैपिड बुलेट भी उपलब्ध है।
एक फायर वाहन 15 वर्ष की आयु पूरी कर लेने की वजह से सेवा से बाहर कर दी गई है। जानकारी मिली है कि आगामी कुछ ही दिनों में,अधिकतम एक सप्ताह में वर्क आर्डर निकल जाएगा और बारिश समाप्त होने के बाद निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
अमूमन, जहां फायर स्टेशन रहता है, वहीं कर्मचारियों के लिए निवास उपलब्ध कराए जाते हैं। इसके पीछे कारण यह है कि जरूरत पर आसानी से अग्निशमन सेवा के लिए कर्मचारी उपलब्ध हो सकें। लेकिन भंडारा नगर परिषद के तहत अभी तक कर्मचारियों के लिए निवास की व्यवस्था नहीं की गई। इसमें अग्निशमन अधिकारी और कर्मचारियों के क्वार्टर शामिल हैं।
पता चला कि कि नगर परिषद के पास फंड नहीं होने से यह मामला टलता रहा है। अभी भी यही स्थिति है। ऐसे में आगामी 2026-27 की जिला वार्षिक योजना में कर्मचारी निवास के लिए प्रस्ताव देने का निर्णय लिया गया है।
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कर्मचारी निवास के लिए कम से कम 7 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी। कर्मचारियों के निवास स्थान के लिए जहां फायर स्टेशन निर्माण होगा, वहीं पीछे पर्याप्त जगह उपलब्ध है।
अग्निशमन विभाग में ठेकेदारी प्रथा पर 18 कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं। इसके अलावा 4 अन्य कर्मचारी आपदा प्रबंधन की सेवा में तैनात है। इन कर्मचारियों को पिछले 4 माह से पेमेंट उपलब्ध नहीं कराया गया है। ठेकेदार ने अपने जेब से इन कर्मचारियों को भुगतान कर दिया है।
अब ठेकेदार का कहना है कि उसकी भी जेबें खाली हो गई है। सरकार को पेमेंट का भुगतान करना चाहिए। जाहिर है कि पेमेंट नहीं होने पर कर्मचारी सेवा से हाथ खींच सकते हैं। भूखे रहकर सेवा करना किसी के लिए भी संभव नहीं है।